दुर्ग जिले के बोरई के निवासी रामकृष्ण साहू और उनकी पत्नी जांत्री साहू के लिए 8 फरवरी 2023 का दिन उनकी जिंदगी का सबसे कठिन दिन बन गया। उनकी 8 वर्षीय बेटी नित्या, जो हमेशा खुश और खेल-कूद में व्यस्त रहती थी, अचानक एक गंभीर बीमारी का शिकार हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि नित्या गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पीड़ित है, जो एक दुर्लभ और जानलेवा न्यूरोलॉजिकल बीमारी है।
परिवार के लिए था मुश्किल समय
यह खबर रामकृष्ण और जांत्री के लिए एक सदमे से कम नहीं थी, क्योंकि उनका परिवार एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार था और इलाज की भारी लागत उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी। नित्या का इलाज चार महीने तक अस्पताल में चला, लेकिन खर्च बढ़ता गया। इस कठिन समय में, रामकृष्ण साहू ने मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत आवेदन किया।
प्रधानमंत्री की पहल से मिली नई रोशनी
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर रामकृष्ण की अपील पर त्वरित कार्रवाई हुई और उन्हें 1,75,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई। यह राशि उनके लिए जीवन का सहारा बन गई और नित्या के इलाज में मददगार साबित हुई। अब नित्या पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है और अपने सामान्य जीवन की ओर लौट आई है।
रामकृष्ण साहू ने इस सहायता के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “सरकार की इस मदद ने हमारी बेटी को एक नया जीवन दिया।” यह घटना यह दर्शाती है कि छत्तीसगढ़ सरकार किस तरह संकटग्रस्त परिवारों के लिए समय पर मदद पहुंचाकर उनकी कठिनाइयों का समाधान करती है। मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि यह योजनाएं जरूरतमंदों के लिए एक मजबूत सहारे का काम करती हैं।
नित्या की जिंदगी में आए इस बदलाव से यह साफ है कि छत्तीसगढ़ सरकार की मानवीय दृष्टि और संवेदनशीलता ने एक परिवार को एक नई उम्मीद और शक्ति दी है।