Sakal Narayann Cave: छत्तीसगढ़ जिसका पौराणिक नाम कौशलराज है, भगवान श्री राम का ननिहाल माना जाता है। छत्तीसगढ़ में रामायण और महाभारत काल के कई प्रमाण मिलते हैं। ऐसी ही एक गुफा बीजापुर में है जो महाभारत काल से संबंधित बताई जाती है। यह रहस्यमयी गुफा (Sakal Narayann Cave )“सकल नारायण गुफा” के नाम से प्रसिद्ध है। जानते हैं इस गुफा से जुड़े रहस्य और मान्यताओं के बारे में।
कहां है सकल नारायण गुफा?
सकल नारायण गुफा (Sakal Narayann Cave)बीजापुर के विकासखंड भोपालपट्टनम के एक छोटे से गांव पोषड़पल्ली में है। जिस पहाड़ पर यह गुफा है उसे स्थानीय लोग गोवर्धन पर्वत कहते है। गुफा जैसे-जैसे अंदर जाती है संकरी और अंधेरी होती जाती है। अंदर भगवान कृष्ण और गोपियों की भी प्रतिमाएं स्थापित है। गुफा इतनी संकरी है कि यहां घुटनों के बल जाना पड़ता है। अंधेरा होने की वजह से भक्तों को अपने साथ टॉर्च भी लेकर चलना होता है।
गुफा के अंदर है रहस्यमयी चीजें
इस गुफा के अंदर तबेले जैसी जगह है जिसे लोग ‘मेकल दोड्डी’ कहते हैं। इस जगह को देखन से ऐसा लगता है जैसे यहां लोज बकरियां जमा होती हैं। लेकिन गुफा (Sakal Narayann Cave) में कभी कोई बकरी नहीं गई। वहां हर समय बकरियों का खाद जमा रहती है जो कभी खत्म नहीं होती। गांव के लोग इसे झाड़-फूंक के लिए ल जाते हैं। इसे भी भगवान कृष्ण का चमत्कार माना जाता है।
जामवंत से जुड़ी है एक कथा
इस गुफा के साथ एक मान्यता प्रचलित है। कहा जाता है जिस गुफा में भगवान श्री कृष्ण और जामवंत का युद्द हुआ था वो यही गुफा है। अभी भी यहां भालू के पैरों के निशान मिलते हैं जिसे लोग जामवंत के पद चिन्ह मानते हैं। युद्द के बाद जामवंत ने अपनी बेटी जामवंती की शादी श्रीकृष्ण से की थी इसलिए इस जगह को श्री कृष्ण का ससुराल भी माना जाता है।
चैत्र महीने में होती है पूजा
यहां हर साल चैत्र महीने में अमावस्या के तीन दिन पहले पूजा शुरु होती है जो 3 दिनों तक चलती है। यहां आने वाले श्रद्धालु पहले चिंतावागु गुफा में नहाते हैं फिर गुफा की तरफ चढ़ाई शुरु करते हैं। इस दौरान यहां मेले जैसा माहौल होता है। कहा जाता है यहां पूरी आस्था से पूजा करने पर संतान प्राप्ति की मनोकामना जरूर पूरी होती है।