विनोद और उनकी पत्नी बीना मुंबई के एक कपल हैं। कई सालों तक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के बाद सुकून की तलाश ने उन्हें ‘बनयान ब्लिस’ का फाउंडर बना दिया। ‘बनयान ब्लिस’ शहर से दूर एक होमस्टे है। जिसे मुंबई के इस कपल ने 4 साल की मेहनत से तैयार किया है।
कैसे हुई ‘बनयान ब्लिस’ की शरूआत ?
प्रकृति से घिरे इस होमस्टे में ठहरने के लिए अब तक करीब 10 हजार से ज्यादा गेस्ट आ चुके हैं। मुंबई से 120 किमी की दूरी पर स्थित है वसुंदे गांव। बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे इस गांव में विनोद और पत्नी बीना ने काफी मेहनत की। आज यह लोगों का फेवरेट डेस्टीनेशन तो है ही साथ ही स्थानीय लोगों को इससे रोजगार भी मिल रहा है।
एग्रो टूरिज्म है ‘बनयान ब्लिस’ की खासियत
ग्रामीण परिवेश में रचा-बसा ‘बनयान ब्लिस’ काफी ट्रेडिशनल है। करीब एक एकड़ में फैले बनयान ब्लिस को लकड़ी, मिट्टी और गाय के गोबर से तैयार किया गया है। दरवाजे और खिड़कियों के लिए लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। इस होमस्टे की सबसे खास बात यह है कि यहां न तो एसी, टेलीविजन और न ही इंटरनेट की सुविधा मिलती है। यानी कि अगर आपको दुनिया से दूर शांति की तलाश है तो यह एक बेस्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकता है। हां पढ़ने के शौकीन लोगों के लिए यहां किताबों की व्यवस्था जरूर की गई है।
पर्यावरण को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया यह होमस्टे काफी खास है। यहां पर ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से ही गेस्ट के लिए सब्जियों का बंदोबस्त किया जाता है। इसके अलावा बारिश के पानी को स्टोर कर रखा जाता है जिससे बारिश के मौसम के अलावा भी यहां सब्जियों और पौधों को पानी भरपूर मात्रा में मिल सके।
बनयान ब्लिस एक यूनिक तरह का आइडिया है जो आज की स्ट्रेसफुल लाइफ के संतुलन के लिए बनाया गया है। बनयान ब्लिस के मालिक विनोद एक अखबार के साक्षात्कार में कहते हैं कि- “कुछ नया करने के लिए सबसे जरूरी अच्छी नियत का होना जरूरी है। गांव या शहर जैसा कुछ नहीं होता है व्यक्ति गांव में रहकर भी अच्छा जीवन जी सकता है।”
मुंबई और पूणे से लगभग 120 किमी की दूरी पर स्थित यह होमस्टे अहमदनगर जिले के वसुंदे गांव में है। कोई भी पर्सनल गाड़ी से यहां लगभग 2 घंटे 45 मिनट के सफर से पहुंच सकता है।