Virtual Water Diplomacy क्या है? पानी का संकट होगा अब कम

Virtual Water Diplomacy: गर्मियां शुरू हो चुकी हैं। भारत के ऐसे राज्य जहां पर पानी की समस्या आम बात है वहां अब जल संकट गहराने लगेगा। इसका उदाहरण हम बेंगलुरू जैसे बड़े मेट्रो शहर में देख ही रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इस परेशानी का एक असरदार हल वर्चुअल वॉटर डिप्लोमेसी को माना जा रहा है। जानते हैं क्या है ये Virtual Water Diplomacy और ब्रिटेन चीन जैसे बड़े देश इस कूटनीति का इस्तेमाल जल संकट से उबरने के लिए कैसे करते हैं।

पहले जानते हैं Virtual Water

किसी प्रोडक्ट या सर्विस को तैयार करने में जो पहली चीज होती है वो है पानी। इसे उदाहरण के तौर पर समझें। जैसे- 1 किलो अनाज को उगाने के लिए 2 हजार लीटर पानी जरूरी है। स्टडी कहती है 2 ग्राम की 32-मेगाबाइट कंप्यूटर चिप बनाने में 32 लीटर पानी खत्म होता है। कृषि या इंडस्ट्री के किसी प्रोडक्ट को बनाने के प्रोसेस में जो पानी यूज होता है उसे ‘Virtual Water’ कहते हैं।

Virtual Water  की अवधारणा कैसे आई?

Virtual Water Diplomacy को ब्रिटिश ज्योग्राफर टोनी एलेन(tony allen) ने सबसे पहले 90 के दशक में दुनिया के सामने लाया। Virtual Water को हिडेन या इनडायरेक्ट वॉटर(Water) भी कहा जाता है। इसे लेकर पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक 2002 में नीदरलैंड में की गई। इसके बाद जापान में आयोजित ‘थर्ड वर्ल्ड वॉटर फॉर्म’ में Virtual Water  पर औपचारिक तौर पर बात की गई।

कैसे होता है वर्चुअल पानी का लेन-देन ?

वर्चुअल पानी के लेन-देन को मिस्र के उदाहरण से समझ सकते हैं। दरअसल मिस्र  के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नदी नील है। बावजूद इसके मिस्र जल संकट जैसी स्थिति से लड़ रहा है। इसी से निपटने के लिए मिस्र अब वर्चुअल वॉटर की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहा है। इसमें मिस्र ज्यादा पानी मांगने वाली फसलों को खुद उगाने की बजाय दूसरे देशों से आयात करता है। मिस्र ने अपने एक बयान में ये बताया कि ‘मिस्र 54 प्रतिशत वर्चुअल वॉटर का आयात करके पानी की कमी को कंट्रोल करता है।

पानी के लिए होने वाली लड़ाइयां होंगी कम

वर्चुअल वॉटर का कॉन्सेप्ट लाने वाले टोनी एलेन कहते हैं कि वर्चुअल वॉटर से भूराजनैतिक मामले खत्म होंगे। इसके अलावा पानी पर शोध कर रहे एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि इससे पानी पर होने वाली लड़ाइयों को रोका जा सकेगा। राजनीति के अलावा, वर्चुअल वॉटर से पर्यावरण और आर्थिक फायदा भी हो सकेगा।

भारत में वर्चुअल वॉटर

एक स्टडी के मुताबिक, 2006 से 2016 के बीच में भारत ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है। जिसमें हर साल औसतन 26,000 मिलियन लीटर वर्चुअल पानी भारत ने निर्यात किया है। इसमें सबसे ज्यादा चावल का निर्यात हुआ है। जिसे उगाने में बहुत ज्यादा मात्रा में पानी खर्च होता है।

Positive सार

Virtual Water Diplomacy एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो विभिन्न देशों के बीच जल संसाधनों के प्रबंधन और सहयोग को संदर्भित करती है। वॉटर डिप्लोमेसी के जरिए विभिन्न देश जल संसाधनों के प्रबंधन, वितरण, और उपयोग को लेकर सहयोग कर सकते हैं। यह अवस्था जल की आपूर्ति या निर्यात पर प्रतिबंध को खत्म करने की दिशा में मदद कर सकती है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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