Van Kendra: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के आसना में राज्य का पहला वन विज्ञान केन्द्र स्थापित किया जाएगा। यह कदम राष्ट्रीय स्तर पर वन संरक्षण और वन प्रबंधन को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। भारत सरकार की राष्ट्रीय कैम्पा मिशन ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है।
पहला वन विज्ञान केंद्र बस्तर
राष्ट्रीय कैम्पा की 23वीं क्रियान्वयन समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में प्रत्येक राज्य में एक-एक पायलट वन विज्ञान केन्द्र खोला जाएगा। छत्तीसगढ़ में इसका चयन बस्तर के आसना को किया गया है।
वन संरक्षण को बढ़ावा
वन विज्ञान केन्द्र का उद्देश्य न केवल वन संरक्षण को बढ़ावा देना है, बल्कि यहाँ प्रशिक्षण और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करके छात्रों और वन कर्मचारियों को आधुनिक वन विज्ञान की जानकारी प्रदान करना है। इसके संचालन और पाठ्यक्रम के निर्धारण के लिए मुख्य वन संरक्षक, जगदलपुर वृत्त की अध्यक्षता में प्रदेश स्तरीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है।
एक्सपर्ट्स हुए पैनल में शामिल
समिति में कुल आठ विषय विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। इनमें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. गिरिश चंदेल, जशपुर के श्री राजेश गुप्ता, शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजीवन कुमार, रायपुर के श्री गिरीश कुबेर, श्री राजीव शर्मा, डॉ. एम.एल. नायक, श्री सुबोध मनोहर पांडे और पुणे महाराष्ट्र के डॉ. राहुल मुंगीकर शामिल हैं। इसके अलावा, सरगुजा वृत्त के मुख्य वन संरक्षक भी समिति के सदस्य हैं।
बस्तर के वन मंडलाधिकारी को समिति का सदस्य सचिव मनोनीत किया गया है। समिति में नामांकित विशेषज्ञों को वन विज्ञान केन्द्र के संचालन और प्रशिक्षण कार्यों में सहयोग करने के लिए कोई मानदेय या वेतन नहीं दिया जाएगा। यह पहल एक स्वयंसेवी और ज्ञान-आधारित प्रयास के रूप में कार्य करेगी।
वन विज्ञान केन्द्र में छात्र, शोधकर्ता और वन कर्मचारी विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेंगे। यहाँ वन प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण, पर्यावरण अध्ययन और आधुनिक फॉरेस्ट टेक्नोलॉजी जैसे विषयों पर शिक्षा दी जाएगी। इससे बस्तर और आसपास के क्षेत्रों में वन संरक्षण की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर
यह केंद्र छत्तीसगढ़ में वन विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर वन संसाधनों का सतत प्रबंधन और संरक्षण भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस परियोजना के माध्यम से बस्तर में वन शिक्षा और प्रशिक्षण की नई दिशा स्थापित होगी।
छत्तीसगढ़ का यह पहला वन विज्ञान केन्द्र राष्ट्रीय स्तर पर वन संरक्षण और प्रशिक्षण में मिसाल बनेगा। यह केंद्र छात्रों और वन कर्मचारियों को न केवल आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण प्रदान करेगा, बल्कि वन संसाधनों के सतत प्रबंधन और संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।