Swachh Bharat Mission: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में छात्र-छात्राओं ने ऐसा काम कर दिखाया है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बन गया है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत एक दिन के विशेष अभियान में 15,000 बच्चों ने मिलकर 844 किलोग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक इकट्ठा किया और प्लास्टिक मुक्त समाज की ओर एक मजबूत कदम बढ़ाया।
बच्चों ने की जिम्मेदारी की शुरुआत
यह सिर्फ स्कूल का कोई टास्क नहीं था, यह था बच्चों का ईको फ्रेंडली मिशन। उन्होंने घर-घर जाकर प्लास्टिक बोतलें, पॉलीथीन, रैपर और दूसरी बेकार प्लास्टिक आइटम्स इकट्ठा कीं और अपने-अपने स्कूलों में लाकर जमा किया। इस काम में अभिभावक भी पूरे दिल से साथ आए और बच्चों को सहयोग देकर पर्यावरण की रक्षा में अपना रोल निभाया।
स्कूल बना बना प्लास्टिक-Free जोन
सिर्फ प्लास्टिक जमा करना ही नहीं, बल्कि बच्चों को इसके दुष्परिणामों की जानकारी भी दी गई। शिक्षकों द्वारा आयोजित संगोष्ठियों में बच्चों को बताया गया कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक कैसे हमारी धरती, पानी, और यहां तक कि हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। बच्चों को कपड़े के थैले, दोना-पत्तल, और रीयूज़ेबल मटेरियल को अपनाने की प्रेरणा दी गई।
बच्चों ने लिया नेतृत्व अपने हाथ
ये पहल एकदम अलग थी क्योंकि इसमें बच्चे लीडर थे। उन्होंने खुद अपने गांव, मोहल्लों में जाकर प्लास्टिक कलेक्ट किया, लोगों को समझाया, और अंत में प्लास्टिक वेस्ट को स्वच्छाग्राहियों को सौंपा। बच्चों की ये भागीदारी केवल कचरा हटाने की नहीं, सोच को बदलने की भी थी।
जिसका असर दूर तक जाएगा
यह राज्य का पहला ऐसा मौका था जब इतने बड़े स्तर पर बच्चे एक दिन में इतना सिंगल यूज़ प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा कर सके। इस पहल ने यह साबित कर दिया कि पर्यावरण संरक्षण के असली हीरो हमारे बच्चे भी हो सकते हैं। इसने यह भी दिखा दिया कि जागरूकता की शुरुआत जितनी जल्दी हो, उतना बेहतर है।
बच्चों से सीखी गई सीख
इस आयोजन ने हमें सिखाया कि अगर बच्चों को सही दिशा मिले, तो वे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह पहल सिर्फ एक दिन की मुहिम नहीं थी, बल्कि एक हरियाली और हेल्दी भविष्य की ओर उठाया गया मजबूत कदम था।