Sustainable Clothing : आजकल बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं, जो बदलते फैशन के मुताबिक कपड़ों की खरीदारी करते हैं। ऐसे लोग अक्सर महीने में दो-तीन बार शॉपिंग कर लेते हैं, ताकि वे नए-नए फैशन के कपड़े पहन सकें। ये कपड़े पहनने में भले ही आकर्षक और ट्रेंडी लगते हों, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये हमारे पर्यावरण पर कितना बुरा असर डाल रहे हैं? फैशनेबल कपड़े बनाने की प्रक्रिया में भारी मात्रा में पानी, रासायनिक पदार्थ और ऊर्जा का इस्तेमाल होता है, जो पर्यावरण को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाते हैं।
फैशन की दिशा बदल रही है
कुछ साल पहले की बात करें, तो लोग त्योहारों या खास अवसरों पर ही कपड़े खरीदते थे, और इस दौरान वे इन कपड़ों की गुणवत्ता का भी ध्यान रखते थे। यही नहीं, कपड़े खरीदते समय यह देखा जाता था कि ये कितने लंबे समय तक चल सकते हैं और क्या ये पर्यावरण पर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं डालेंगे। अब, हमें फिर से इस सस्टेनेबिलिटी के दृष्टिकोण को अपनाने की जरूरत है।
फास्ट फैशन और इसके नुकसान
भारत में करीब 70,000 ब्रांड्स हैं जो फैशनेबल कपड़े बनाते हैं। लेकिन, पर्यावरण के अनुकूल कपड़े बनाने वाले ब्रांड्स की संख्या बेहद कम है।
फास्ट फैशन वह प्रक्रिया है जिसमें ऐसे कपड़े बनाए जाते हैं जो ताजे फैशन ट्रेंड्स के अनुसार होते हैं। इन कपड़ों का उत्पादन बहुत तेज़ी से किया जाता है और ये कपड़े बेहद सस्ते होते हैं। हालांकि, इनमें से ज्यादातर कपड़े कम गुणवत्ता वाले होते हैं, और इन्हें बहुत जल्दी फैशन से बाहर कर दिया जाता है। इससे ना सिर्फ पैसों की बर्बादी होती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है।
फास्ट फैशन में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक रंग, सिंथेटिक फाइबर और अत्यधिक पानी की खपत पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानकारी होते हैं। इसके अलावा, फैशन उद्योग सबसे बड़े कचरे उत्पादक उद्योगों में से एक है, जिसमें हजारों टन कपड़े हर साल लैंडफिल में चले जाते हैं।
सस्टेनेबल क्लोथिंग – पर्यावरण के अनुकूल
आजकल फैशन उद्योग में सस्टेनेबल क्लोथिंग मटेरियल का उपयोग बढ़ रहा है, जो न केवल कपड़ों की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर डालता है। सस्टेनेबल वर्कवेयर और कपड़े बनाने के लिए ऐसे मटीरियल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो प्राकृतिक और रीसायकल किए गए पदार्थों से बनाए जाते हैं। ये मटीरियल न केवल लंबे समय तक चलते हैं, बल्कि इनके उत्पादन में प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग भी नहीं होता।
- ऑर्गेनिक कॉटन को उगाने के लिए रासायनिक पेस्टीसाइड्स और सिंथेटिक फर्टीलाइज़र का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसका मतलब है कि यह कपास पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित होता है। ऑर्गेनिक कॉटन से बने कपड़े त्वचा के लिए भी ज्यादा सुरक्षित होते हैं, क्योंकि इन पर रासायनिक सामग्री का प्रभाव नहीं होता।
- लिनेन एक प्राकृतिक फाइबर है, जिसे भाप और पानी के साथ संसाधित किया जाता है, जिससे पर्यावरण पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। लिनेन एक बायोडिग्रेडेबल सामग्री है।
- लैंप से बने कपड़े बेहद मजबूत और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं, और ये बहुत जल्दी सड़े या खराब नहीं होते हैं।
Positive सार
सस्टेनेबल मटीरियल का इस्तेमाल न केवल फैशन उद्योग के लिए, बल्कि हमारे ग्रह के लिए भी फायदेमंद है। जब हम पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कपड़े चुनते हैं, तो हम न केवल अपनी खुद की जीवनशैली को बेहतर बनाते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य भी सुनिश्चित करते हैं। इसलिए, अगली बार जब आप कपड़े खरीदें, तो सस्टेनेबल मटीरियल को प्राथमिकता दें और इस दिशा में अपने योगदान को महसूस करें।