Saalumarada Thimmakka death: नहीं रही ‘वृक्ष माता’ सालूमरदा थिमक्का!

Saalumarada Thimmakka death: पद्मश्री से सम्मानित पर्यावरण संरक्षक सालूमरदा थिमक्का अब इस दुनिया में नहीं रहीं। 14 नवंबर को 114 वर्ष की उम्र में उन्होंने एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। लंबे समय से अस्वस्थ थिमक्का बीते कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं। उनके निधन की खबर ने पूरे देश में शोक की लहर दौड़ा दी, क्योंकि भारत ने सिर्फ एक पर्यावरण कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि Mother Nature की सबसे सच्ची संरक्षक खो दी है।

385 बरगद से एक जीवित विरासत

30 जून 1911 को जन्मीं थिमक्का को सालूमरदा यानी ‘वृक्षों की पंक्ति वाली माता’ की उपाधि इसलिए मिली क्योंकि उन्होंने बेंगलुरु दक्षिण जिले के रामनगर क्षेत्र में हुलिकल और कुदुर के बीच 4.5 किलोमीटर लंबी पट्टी में 385 बरगद के पेड़ लगाए।

यह काम उन्होंने बिना किसी औपचारिक शिक्षा, बिना किसी सरकारी सहायता और बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के किया। बस प्रकृति से प्रेम के कारण।

उनकी यह हरियाली आज भी जीवित है, हवा देती है, छाया देती है—और थिमक्का की तरह ही चुपचाप दुनिया को बेहतर बनाती रहती है।

पेड़ों में ढूंढ लिया मातृत्व

थिमक्का और उनके पति निःसंतान थे। जीवन में आए भावनात्मक खालीपन को उन्होंने प्रकृति को समर्पित कर दिया। वे पेड़ों को अपने बच्चों की तरह पालती थीं—

  • हर पेड़ को पानी देना
  • कीचड़ से संरक्षण बनाना
  • जानवरों से बचाने के लिए कांटेदार झाड़ियां लगाना
  • और सालों तक उनकी निगरानी करना

उनके लिए tree plantation सिर्फ काम नहीं था। यह मातृत्व, करुणा और कर्तव्य का भाव था।

जमीन से जुड़ी रहीं थिमक्का

थिमक्का को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले-

  • पद्मश्री (2019)
  • नादोजा पुरस्कार – हम्पी विश्वविद्यालय (2010)
  • राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार (1995)
  • इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार (1997)
  • कुल 12 प्रमुख सम्मान

फिर भी, वे जितनी महान थीं उतनी ही विनम्र भी रहीं। उनके व्यक्तित्व में सादगी, कर्मठता और मातृत्व का मेल था a true symbol of sustainable living।

कर्नाटक में गहरा शोक

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि थिमक्का का जाना राज्य के लिए बड़ी क्षति है। पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, और कई सांसद, विधायक तथा मंत्री भी थिमक्का को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

थिमक्का की विरासत

एक ऐसा जंगल, जो हमेशा याद दिलाएगा कि एक इंसान भी पूरी धरती बदल सकता है। थिमक्का ने अपने जीवनकाल में हजारों पेड़ लगाए और उनकी रक्षा की। आज जब पर्यावरण संकट अपना सबसे गंभीर समय देख रहा है, थिमक्का की कहानी हमें याद दिलाती है कि “One person can create an entire forest.”

Avatar photo

Rishita Diwan

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Owner/Editor In Chief: Dr.Kirti Sisodia 

Office Address: D 133, near Ram Janki Temple, Sector 5, Jagriti Nagar, Devendra Nagar, Raipur, Chhattisgarh 492001

Mob. – 6232190022

Email – Hello@seepositive.in

FOLLOW US​

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.