Plastic Man of India: प्लास्टिक का इस्तेमाल हम सभी लोग करते हैं, इस्तेमाल के बाद हम उसे फेंक देते हैं। लेकिन तब क्या होगा जब प्लास्टिक वेस्ट की संख्या इतनी ज्यादा हो जाएगी कि हम उसे डिस्पोज ही नहीं कर सकें। क्या कभी इस बारे में सोचा है, या फिर कभी ये सोचा है कि अगर ये प्लास्टिक डिस्पोज नहीं होते हैं तो ये प्रकृति के साथ क्या करते हैं, या फिर ये पर्यावरण को किस हद तक नुकसान पहुंचाते हैं। दरअसल ये प्रकृति को इस कदर प्रभावित करते हैं जिसकी कल्पना आप और हम कर भी नहीं सकते हैं।
ऐसी ही समस्या से लड़ने के लिए एक शानदार आइडिया दिया Plastic Man of India ने। क्या आप जानते हैं कौन हैं Plastic Man of India. उन्होंने ऐसा क्या काम किया कि उन्हें लोग Plastic Man of India कह रहे हैं। जानेंगे क्या है Plastic Man of India की पूरी कहानी….
पहले जानते हैं प्लास्टिक कचरे के बारे में
ये बात किसी से भी नहीं छिपी है कि वेस्ट के रूप में हमारे आस-पास मौजूद प्लास्टिक, पर्यावरण और हमारे लिए कितना खतरा पैदा कर रहा है। ये न सिर्फ़ वातावरण को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि जीव-जंतुओं की मौत का भी कारण बन रहा है। इनकी वजह से कई प्रजातियां खत्म हो चुकी हैं और कई तेजी से खत्म होने की राह पर हैं। आज सरकार हर लेवल पर ये कोशिश कर रही है कि प्लास्टिक के कचरे को रिसाइकल किया जाए, ताकि उसका दोबारा इस्तेमाल हो और पर्यावरण के नुकसान की भरपाई की जा सके।
प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया के बारे में
मदुरै के टीसीई इंजीनियरिंग कॉलेज के एक प्रोफ़ेसर हैं राजगोपालन वासुदेवन। उन्होंने प्लास्टिक के निपटान की ऐसी तकनीक डेवलप की जिसकी वजह से उन्हें Plastic Man of India कहा गया। उनके काम के लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। दरअसल राजगोपालन वासुदेवन ही वो शख्स हैं जिन्होंने प्लास्टिक से सड़क बनाने का यूनिक आइडिया दिया है।
राजगोपालन वासुदेवन के बारे में
प्लास्टिक से सड़क बनाने वाले राजगोपालन वासुदेवन मदुरै के टीसीई इंजीनियरिंग कॉलेज में केमिस्ट्री के प्रोफ़ेसर हैं। साल 2002 में उन्होंने सबसे पहले थिएगराजार कॉलेज के परिसर में प्लास्टिक कचरे से रोड बनाने का प्रयोग किया, जो कि सफल रहा।
उन्होंने इस क्षेत्र में और रिसर्च की और लगभग 10 सालों की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें और उनके काम को पहचान मिली। उन्होंने अपने प्लास्टिक से रोड बनाने की तकनीक को 10 सालों की मेहनत के बाद मान्यता दिलाने में सफलता हासिल की।
अमेरिका के 1400 करोड़ का ऑफर ठुकराया
राजगोपालन वासुदेवन के इस टेक्नीक के बारे में धीरे-धीरे पूरी दुनिया को पता चला। जिसके बाद बड़े-बड़े देशों ने उनसे बात की। उनके इस यूनिक आइडिया के लिए पैसे भी ऑफर किए लेकिन राजगोपालन वासुदेवन ने ये टेक्नीक अपने देश को ही दी वो भी बिना किसी पैसे और ओहदे के। इस टेक्नीक के लिए अमेरिका ने उन्हें करीब 1400 करोड़ रुपये ऑफर किए थे, लेकिन उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया। ये उनकी मेहनत और देशप्रेम का ही नतीजा है जिसकी वजह से आज प्लास्टिक वेस्ट के डिस्पोजल में मदद मिल रही है और देश में प्लास्टिक खत्म करने की दिशा में एक क्रांति आ गई है।
प्लास्टिक कचरे को खत्म करने देश में चल रही क्रांति
उनकी तकनीक से आज पंचायतों, नगर पालिकाओं, यहां तक कि NHAI ने भी सड़के बनाई है। इसके अलावा उनके काम से प्रेरित होकर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कचरे के प्लास्टिक का बड़े पैमाने पर उपयोग करने के लिए एक मिशन की शुरूआत भी की है। आज प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर जागरूकता फैलाने के लिए देश भर में लगभग 26 हज़ार लोगों को जोड़ा गया है और अपशिष्ट प्लास्टिक का कलेक्शन किया जा रहा है ताकि उसका इस्तेमाल सड़क बनाने में किया जा सके।
क्या कहते हैं आंकड़े?
साल 2022 तक के आंकड़ों पर अगर नजर डालेंगे तो भारत में प्लास्टिक से बनी करीब 100,000 किलोमीटर की सड़कें फिलहाल मौजूद हैं, साथ ही कई अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम भी किया जा रहा है। भारत के अलावा Plastic Man of India के इस इनोवेशन से दुनिया भर के विभिन्न देशों में सड़कें बनाई जा रही है। इन देशों में इंडोनेशिया में बाली, सर्बिया, बेकासी, मकसार जैसे देश शामिल हैं।
Positive सार
Plastic Man of India की वर्षों की मेहनत और संघर्षों का ही ये नतीजा है कि आज भारत का गौरव पूरी दुनिया में है। एक भारतीय के इनोवेशन पर पूरी दुनिया काम कर रही है। प्लास्टिक से सड़क बनाने के इस आइडिया को देने वाले राजगोपालन वासुदेवन सच्चे मायनों में देश की सेवा कर रहे हैं।