Plastic bag pollution: आज प्लास्टिक बैग्स हमारे जीवन का हिस्सा तो हैं, लेकिन धरती, समुद्र और इंसानी सेहत के लिए सबसे बड़ा संकट भी बन चुके हैं। दुनिया में हर साल 5 ट्रिलियन से ज्यादा प्लास्टिक बैग्स इस्तेमाल होते हैं, यानी हर मिनट करीब 10 लाख बैग्स। हैरानी की बात यह है कि इनका औसत इस्तेमाल केवल 12 मिनट का होता है, लेकिन ये सैकड़ों साल तक नष्ट नहीं होते।
कहा शुरू हुई ये आफत?
1960 के दशक में स्वीडन की कंपनी नेलोप्लास्ट ने सबसे पहले हल्के और सस्ते प्लास्टिक बैग्स बनाए। यह लोगों को इतने सुविधाजनक लगे कि पूरी दुनिया में छा गए। लेकिन धीरे-धीरे यही बैग्स पर्यावरण के लिए नासूर बन गए।
रिसाइक्लिंग नहीं, सिर्फ प्रदूषण
- सिर्फ 1-3% प्लास्टिक बैग्स ही रिसाइकिल हो पाते हैं।
- बाकी या तो लैंडफिल्स में जमा हो जाते हैं, या नदियों और समुद्रों में पहुंचकर जीवन के लिए खतरा बन जाते हैं।
- हर साल 8 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक समुद्र में फेंका जाता है, जिसमें प्लास्टिक बैग्स का बड़ा हिस्सा होता है।
- 10 लाख से ज्यादा समुद्री जीव हर साल प्लास्टिक खाने या उसमें फंसने से मरते हैं।
भारत में भी गंभीर संकट
भारत में प्लास्टिक बैग्स की वजह से,
- नालियां और सीवरेज सिस्टम जाम हो जाते हैं।
- मुंबई जैसे शहरों में बाढ़ का बड़ा कारण प्लास्टिक कचरा है।
- जब प्लास्टिक टूटकर माइक्रोप्लास्टिक्स में बदलता है, तो वो मछलियों के पेट से होते हुए इंसानों की थाली तक पहुंचता है।
मिट्टी और खेती भी बना जहरीला
- खेतों में फेंके गए प्लास्टिक बैग्स मिट्टी की उर्वरता घटाते हैं।
- सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं जो फसल के लिए जरूरी होते हैं।
- जब प्लास्टिक जलाया जाता है तो जहरीली गैसें निकलती हैं जो हवा को प्रदूषित करती हैं और सांस की बीमारियां फैलाती हैं।
सरकार को उठाने पड़ रहे भारी खर्च
- प्लास्टिक कचरे की सफाई के लिए सरकार को हर साल अरबों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
- नदियों, नालों की सफाई पर खर्च होने वाला पैसा असली विकास कार्यों से हट जाता है।
- दूसरी ओर, कपड़े या जूट के थैलों को बढ़ावा मिलने से स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों को फायदा हो सकता है।
हम क्या कर सकते हैं?
- बड़ी लड़ाई छोटे कदमों से जीती जा सकती है।
- कपड़े या जूट के थैले साथ लेकर जाएं।
- दुकानदार से प्लास्टिक बैग्स लेने से मना करें।
- पुराने कपड़ों से घर पर थैले बनाएं।
- बच्चों, स्कूलों और मोहल्लों में जागरूकता फैलाएं।
दुनिया जाग रही है
बांग्लादेश, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने प्लास्टिक बैग्स पर बैन या टैक्स लगाया है। भारत ने भी 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाया है, लेकिन इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।