Mor Gaon Mor Pani: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में जल संरक्षण और भू-जल स्तर में सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल ‘मोर गांव मोर पानी’ महा अभियान ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। यह अभियान न केवल तकनीकी दृष्टि से प्रभावशाली है, बल्कि जनभागीदारी के माध्यम से एक सामूहिक जल आंदोलन बन चुका है।
जल संकट से जल आत्मनिर्भरता की ओर
राज्य शासन का उद्देश्य है कि प्रत्येक गांव अपने पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण कर जल आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़े। इसी दृष्टि से सरगुजा जिले के अम्बिकापुर, मैनपाट, लखनपुर, बतौली, सीतापुर, लुण्ड्रा और उदयपुर विकासखण्डों में वर्षा जल संचयन के लिए विशेष कार्ययोजनाएं बनाई गईं।
‘रीज टू वैली’ (Ridge to Valley) अवधारणा पर आधारित तकनीकों के तहत वर्षा जल को भूमि में समाहित करने की दिशा में कई अभिनव संरचनाएं निर्मित की गई हैं, जिनसे प्रत्येक वर्षा-बूंद भूजल को समृद्ध कर रही है।
बदल रही है तस्वीर
अभियान के अंतर्गत बड़े पैमाने पर जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है-
- स्ट्रेगर्ड कंटूर ट्रेंच: 09
- सतत कंटूर ट्रेंच: 01
- लूज बोल्डर चेक डैम: 299
- गैबियन स्ट्रक्चर: 02
- ब्रशवुड चेक डैम: 133
- अर्दन गली प्लग: 315
- सोकपिट: 14,840
- सैंड फिल्टर रिचार्ज यूनिट: 17
इन सभी संरचनाओं ने बरसात के पानी को बहकर बर्बाद होने से रोककर भूमि में रिसने की प्रक्रिया को तेज किया, जिससे भूजल पुनर्भरण (Groundwater Recharge) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पारंपरिक जल स्रोतों का नवजीवन
अभियान के तहत पुराने कुओं, तालाबों, नालों और चेकडैमों का गहरीकरण और मरम्मत की गई। कई गांवों में जो तालाब वर्षों से सूखे पड़े थे, उनमें अब पुनः जल संचित हो रहा है। इससे ग्रामीणों को घरेलू उपयोग, पशुपालन और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने लगा है।
किसानों की खुशहाली में बढ़ोतरी
भूजल स्तर में सुधार होने से किसानों को अब दोनों सीजन (रबी और खरीफ) की फसलें लेने का अवसर मिल रहा है।
- खेतों में नमी बनी रहने से फसलों की उत्पादकता बढ़ी है।
- डबरी निर्माण और चेकडैमों से सिंचाई सुविधाएं बेहतर हुई हैं।
- किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
जनभागीदारी से सशक्त बना अभियान
‘मोर गांव मोर पानी’ केवल शासन की योजना नहीं, बल्कि जनभागीदारी से संचालित आंदोलन है। जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायत में जनप्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों, युवाओं और ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी रही। विद्यालयों और महाविद्यालयों में विद्यार्थियों के बीच रैलियां, निबंध प्रतियोगिताएं और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए और लोगों को जल संरक्षण तकनीकों, वर्षा जल संचयन और पर्यावरणीय संतुलन के प्रति संवेदनशील बनाया गया।
दिखाई देने लगा असर
अभियान के सकारात्मक परिणाम अब धरातल पर स्पष्ट हैं। इस पहल से अब कई स्थानों पर भूजल स्तर में 1 से 2 मीटर तक सुधार दर्ज किया गया है। पहले जहां गर्मी के मौसम में पेयजल संकट था, वहां अब हैंडपंप और कुएं सुचारू रूप से जल दे रहे हैं।
जल उपलब्धता सुनिश्चित
राज्य शासन का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में सरगुजा जिले का प्रत्येक गांव “जल आत्मनिर्भर” बने ताकि जल संकट का कोई नामोनिशान न रहे और यह अभियान ग्रामीण सशक्तिकरण का स्थायी प्रतीक बने।