Ethanol: जहां पूरी दुनिया पेट्रोल-डीजल से होने वाले प्रदूषण से लड़ने इसके विकल्प को तलाश रही है वहीं भारत जैसे कृषि प्रधान राज्य में पेट्रोल-डीजल की जगह Ethanol जैसे बायोफ्यूल के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। जानते हैं कैसे ये कृषि और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है।
इथेनॉल क्या है?
इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल के साथ मिलाकर गाड़ियों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इथेनॉल मुख्य रूप से गन्ने की फसल से बनाया जाता है। लेकिन इसे कई दूसरी ऐसी फसलों से भी बनाया जाता है जिससे शुगर बनाई जाती है। ये कृषि और पर्यावरण दोनों के लिए लाभदायक होता है।
इथेनॉल को एथिल अल्कोहल या अनाज अल्कोहल भी कहते हैं। ईंधन के रूप में इसके उपयोग होने वाले जैव ईंधन को बनाने के लिए इथेनॉल को गैसोलीन के साथ मिला दिया जाता है। इसके मिलावट को E10 (10% इथेनॉल और 90% गैसोलीन) या E85 (85% इथेनॉल और 15% गैसोलीन तक), और फ्लेक्स फ्यूल तकनीक से लैस कुछ वाहनों में यूज किया जाता है। इथेनॉल को रिन्यूएबल एनर्जी के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि इसे मकई, गन्ना या सेल्युलोसिक बायोमास जैसी कृषि फसलों से बनाया जा सकता है।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने महत्वपूर्ण कदम
पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें से एक है इथेनॉल प्रोडक्शन। पर्यावरण को बचाए रखने में एक महत्वपूर्ण कदम स्वच्छ ऊर्जा की पहचान कर उसे अपनाना है। रिन्यूएबल एनर्जी वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने में मदद करते हैं।
इथेनॉल उत्पादन में गन्ने का अहम रोल
गन्ना इथेनॉल प्रोडक्शन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह इथेनॉल के उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाला सबसे प्राथमिक कृषि उत्पाद है। गन्ना सुक्रोज, एक प्रकार की चीनी से समृद्ध होती है। इसे इथेनॉल के प्रोडक्शन के लिए आसानी से बदला सकता है। गन्ने में सुक्रोज की मात्रा काफी होती है। इसे इथेनॉल उत्पादन के लिए एक आदर्श रॉ मटेरियल माना जाता है। मिलिंग और क्रशिंग प्रोसेस से गन्ने से चीनी निकाल ली जाती है। फिर रस को इथेनॉल में बदलने के लिए फीडस्टॉक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गन्ने से इथेनॉल उत्पादन बेहद कीमती और बायो प्रॉडक्ट के रूप में माना जाता है। गन्ने से रस निकालने के बाद बचा हुआ रेशेदार कचरे का उपयोग इथेनॉल उत्पादन प्रक्रिया के लिए बिजली और भाप उत्पन्न करने के लिए बायोमास ईंधन के रूप में होता है।