पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए छत्तीसगढ़ राज्य ने एक अनूठी पहल की है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार “ईको-रेस्टोरेशन पॉलिसी” तैयार कर रही है। केरल के बाद यह नीति बनाने वाला छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य होगा। इस नीति का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और पारिस्थितिक तंत्र का पुनर्स्थापन करना है।
ईको-रेस्टोरेशन नीति की आवश्यकता
- वनों का विनाश, आर्द्रभूमियों का नुकसान, और खनन क्षेत्रों में पर्यावरणीय असंतुलन जैसे मुद्दे।
- जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की अनिवार्यता।
वैश्विक भागीदारी और दिशा-निर्देश
- भारत की ग्लोबल रेस्टोरेशन इनिशिएटिव, बॉन चैलेंज और संयुक्त राष्ट्र ईको-रेस्टोरेशन दशक में सक्रिय भागीदारी।
- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2021 में विशेषज्ञ समिति के गठन और ईको-रेस्टोरेशन प्राथमिकता पर बल।
ईको-रेस्टोरेशन नीति का उद्देश्य
- राज्य के खोए हुए वन क्षेत्रों, आर्द्रभूमियों, और पारिस्थितिक तंत्र का पुनर्विकास।
- खनन प्रभावित क्षेत्रों और शहरी पारिस्थितिकी का पुनर्वास।
- जैव विविधता संरक्षण और सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के साथ सामंजस्य।
- स्थानीय प्रजातियों और कम लागत वाले समाधानों पर ध्यान।
नीति निर्माण में विशेषज्ञों की भूमिका
- दो राज्य स्तरीय कार्यशालाओं में वानिकी विशेषज्ञ, शोधकर्ता, एनजीओ, और समुदायों ने भाग लिया।
- आर्द्रभूमि प्रबंधन, शहरी पारिस्थितिकी संरक्षण, और खनन प्रभावित क्षेत्रों पर विचार-विमर्श।
- नीति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी वर्गों से सुझाव।
- जनवरी माह में अंतिम मसौदा राज्य सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ की पहल
छत्तीसगढ़ की ईको-रेस्टोरेशन पॉलिसी न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनेगी। यह नीति पर्यावरण संरक्षण, सामुदायिक भागीदारी, और सतत विकास के क्षेत्र में एक नई दिशा देगी।
Positive सार
छत्तीसगढ़ की ईको-रेस्टोरेशन नीति पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने और एक स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल राज्य के पर्यावरण को संरक्षित करेगी बल्कि अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी।