Chhattisgarh’s Bio-Gas Revolution: गीले कचरे से बनेगा बायोगैस!

  • पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल
  • गीले कचरे से बायोगैस उत्पादन की दिशा में बड़ा कदम

Chhattisgarh’s Bio-Gas Revolution: छत्तीसगढ़ सरकार ने गीले कचरे के प्रबंधन और स्वच्छता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में राज्य सरकार ने गेल इंडिया और छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट एजेंसी के साथ एक महत्वपूर्ण एमओयू (MOU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अंबिकापुर में एक बायोगैस संयंत्र स्थापित किया जाएगा।

चंपा नाला के समीप बनेगा बायोगैस संयंत्र

अंबिकापुर नगर निगम ने बायोगैस संयंत्र की स्थापना के लिए चंपा नाला के समीप 10 एकड़ भूमि का आवंटन किया है। इस संयंत्र में न केवल घरेलू गीले कचरे का निपटान होगा, बल्कि कृषि अपशिष्ट को भी प्रोसेस कर कम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG) बनाई जाएगी।

परियोजना की विशेषताएँ और लाभ

संयंत्र की प्रारंभिक क्षमता प्रतिदिन 100 टन गीले कचरे को प्रोसेस करने की होगी, जिसे आगे बढ़ाकर 150 टन तक किया जाएगा।

  • डोर-टू-डोर कचरा संग्रह की व्यवस्था होगी, जिससे स्वच्छता में सुधार होगा।
  • एसटीपी संयंत्र के समीप स्थित होने से उपचारित जल का उपयोग बायोगैस उत्पादन में किया जाएगा।
  • इस संयंत्र से उत्पन्न जैविक खाद का उपयोग कृषि में किया जा सकेगा।

छत्तीसगढ़ में यहां लगेंगे बायोगैस प्लांट

भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के छह निकायों को बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए चुना है,

  • गेल इंडिया- रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर
  • भारत पेट्रोलियम- बिलासपुर, राजनांदगांव, धमतरी

पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका

यह बायोगैस संयंत्र पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा योगदान देगा। सामान्यत: गीले कचरे के निपटान से मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है। इस संयंत्र के माध्यम से मीथेन को कम्प्रेस्ड बायोगैस में परिवर्तित कर ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग किया जाएगा, जिससे कार्बन फुटप्रिंट कम होगा।

नगर निगम को होगा वित्तीय लाभ

  • गीले कचरे के निपटान के लिए निगम को अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा।
  • बायोगैस से होने वाली आय से निगम की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।
  • जैविक खाद के विक्रय से अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।

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Positive सार

यह परियोजना न केवल छत्तीसगढ़ को स्वच्छ और हरित राज्य बनाने में सहायक होगी, बल्कि ग्रीन एनर्जी को भी बढ़ावा देगी। बायोगैस उत्पादन की इस पहल से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ रोजगार और आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

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Rishita Diwan

Content Writer

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