CG Wetland Conservation: छत्तीसगढ़ में वेटलैंड संरक्षण और प्रबंधन को और मजबूत करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की दूसरी बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिससे प्रदेश में वेटलैंड क्षेत्रों की सुरक्षा, संवर्धन और सतत उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। वेटलैंड न केवल जल संसाधनों का संरक्षण करते हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए विस्तार से जानें कि यह बैठक क्यों महत्वपूर्ण थी और इससे छत्तीसगढ़ को क्या लाभ मिलेगा।
वेटलैंड संरक्षण की दिशा में नई पहल
वन मंत्री केदार कश्यप की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राज्य के वेटलैंड संरक्षण से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। वन मंत्री ने राज्य के सभी जिलों में जिला वेटलैंड संरक्षण समितियों को सख्त दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश दिए ताकि वेटलैंड क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इसके साथ ही, वेटलैंड प्राधिकरण के सदस्य सचिवों के वित्तीय अधिकारों का अध्ययन कर एक संशोधित प्रस्ताव तैयार करने और उसे शासन को भेजने का निर्णय लिया गया। इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता आएगी और संरक्षण से जुड़े कार्यों को सुचारू रूप से किया जा सकेगा।
राज्य में नए रामसर स्थलों की पहचान
बैठक में छत्तीसगढ़ के दो प्रमुख जलाशयों को रामसर स्थल के रूप में चिन्हित करने की मंजूरी दी गई। ये हैं,
- कोपरा जलाशय (बिलासपुर)
- गिधवा-परसदा वेटलैंड कॉम्प्लेक्स (बेमेतरा)
रामसर स्थल वे क्षेत्र होते हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण वेटलैंड के रूप में पहचाने जाते हैं और जहां जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं। इन जलाशयों को रामसर सूची में शामिल करने से इनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे।
जलाशयों और तालाबों का संरक्षण
छत्तीसगढ़ में कई प्राकृतिक और कृत्रिम जलाशय हैं, जो वेटलैंड के रूप में कार्य करते हैं। बैठक में एनपीसीए (National Plan for Conservation of Aquatic Ecosystems) योजना के तहत प्राकृतिक रूप से निर्मित तालाबों को संरक्षित करने और नए प्रस्तावों को तैयार करने का निर्णय लिया गया।
इससे स्थानीय स्तर पर जल स्रोतों की स्वच्छता, जल स्तर का संतुलन और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, इन वेटलैंड क्षेत्रों में विभिन्न जलचर जीवों और पक्षियों के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
तकनीकी और शिकायत समिति में बदलाव
बैठक में वेटलैंड संरक्षण को और प्रभावी बनाने के लिए तकनीकी समिति में आवास एवं पर्यावरण विभाग तथा मत्स्य विभाग को शामिल करने की अनुशंसा की गई। इससे विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बेहतर होगा और वेटलैंड संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी।
साथ ही, शिकायत समिति में वेटलैंड प्राधिकरण के सदस्य सचिव और शहरी विकास विभाग के निदेशक को शामिल करने की अनुशंसा की गई, जिससे किसी भी मुद्दे पर त्वरित निर्णय लिए जा सकें।
वेटलैंड संरक्षण से जुड़े कानूनी पहलू
बैठक में वेटलैंड (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का कानूनी विश्लेषण करवाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए एडवोकेट जनरल कार्यालय से विधिक परामर्श लेने और अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन करने की योजना बनाई गई।
इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि वेटलैंड संरक्षण में कोई कानूनी बाधा न आए और राज्य के कानूनों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जा सके।
वेटलैंड संरक्षण से राज्य को होने वाले लाभ
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वेटलैंड संरक्षण के लिए उठाए गए इन कदमों से राज्य को कई फायदे होंगे,
- पर्यावरणीय संतुलन- वेटलैंड प्राकृतिक जल स्रोतों को संजोकर रखते हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं।
- जैव विविधता संरक्षण- प्रवासी पक्षियों और जलीय जीवों के लिए अनुकूल परिस्थितियां सुनिश्चित होंगी।
- स्थानीय कृषि को लाभ- वेटलैंड से भूमिगत जल स्तर संतुलित रहता है, जिससे किसानों को सिंचाई में मदद मिलती है।
- पर्यटन को बढ़ावा- संरक्षित वेटलैंड क्षेत्रों में इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास राज्य में वेटलैंड संरक्षण, जल संसाधन प्रबंधन और सतत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। गिधवा-परसदा और कोपरा जलाशय जैसे स्थलों की पहचान से राज्य की पर्यावरणीय नीतियों को मजबूती मिलेगी और जैव विविधता का संतुलन बना रहेगा।
आगे चलकर, यदि इन निर्णयों को प्रभावी रूप से लागू किया जाए, तो छत्तीसगढ़ पर्यावरणीय स्थिरता और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के लिए एक मॉडल राज्य बन सकता है।