Biological identity of trees: प्रकृति के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी की जिम्मेदारी है। आने वाली पीढ़ी को पेड़ों के महत्व, उनकी जानकारी और उनके बारे में सबकुछ जानना बेहद जरूरी है। ऐसे में उत्तरप्रदेश (UP) के एक यूनिवर्सिटी ने एक खास पहल की है। यूनिवर्सिटी ने पेड़ों के बायोलॉजिकल आइडेंटिटी के लिए पेड़ों पर स्कैनर लगा दिए हैं। जानते हैं इससे स्टूडेंट को क्या फायदा होगा और पर्यावरण संरक्षण में ये कैसे मदद करेगा।
पर्यावरण संतुलन के लिए अहम
कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की ख्याति एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के रूप में है। यहां पर छात्रों को किताबों ज्ञान के अलावा प्रैक्टिकल से जोड़ने का प्रयास किया जाता रहा है। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय ने पेड़ों की संपूर्ण जानकारी के लिए पेड़ों पर स्कैनर लगाया है। इसका फायदा ये होगा कि स्टूडेंट्स पेड़ों के बायोलॉजिकल आइडेंटिटी (Biological identity of trees) का पता आसानी से लगा पाएंगे। विश्वविद्यालय में हजारों विभिन्न प्रजातियों के पेड़- पौधे लगाए गए हैं, जो स्कैनर से लैस हैं।
जागरूक होंगे स्टूडेंट्स
पर्यावरण संतुलन के लिए ये पेड़े बेहद जरूरी हैं। यूनिवर्सिटी के इस कदम से स्टूडेंट्स पेड़-पौधों की अहम भूमिका को समझेंगे। इन स्कैनर की मदद से यूनिवर्सिटी के छात्र आज ग्लोबल वार्मिग, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और भूमि उर्वरा शक्ति के बारे में अपनी समझ को विकसित करेंगे।
पेड़ों की प्रजातियों को सहेजना उद्देश्य
पेड़ों के बायोलॉजिकल आइडेंटिटी (Biological identity of trees) के बारे में जानकारी ले कर ही स्टूडेंट्स इनके महत्व को समझेंगे। सामान्यत: किसी पेड़ के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में स्टूडेंट्स को काफी मशक्कत करनी होती है। ऐसी ही स्थितियों को आसान बनाने के लिए यूनिवर्सिटी ने ये कदम उठाया है।
विश्विविद्यालय ने क्या कहा?
विश्वविद्यालय के कुलपति का कहना है कि, आमतौर कुछ पेड़-पौधों की जानकारी सभी को नहीं होती है। लोग नहीं जानते हैं कि कौन सी प्रजाति कहां काम आती है। उन पर कौन से फूल लगते हैं और कौन से फल लगते हैं। स्टेूडेंट्स में जागरूकता लाना ही इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। बता दें विश्वविद्यालय परिसर में पाकड़, बरगद, पीपल, अर्जुन, पारिजात, अमलतास, सप्तपर्णी, ल्वर ओक के पेड़ों में QR codes लगे हैं।
Positive सार
यूनिवर्सिटी की ये पहल पेड़-पौधों के जरिए लोगों को शिक्षित और जागरूक करेगी। विश्वविद्यालय आने वाला व्यक्ति पेड़ों पर लगे स्कैनरों को देखकर उत्सुक होगा। स्कैन कर वो जानकारी हासिल करेगा। इससे लोगों और स्टूडेंट्स को पेड़ों के बायोलॉजिकल आइडेंटिटी (Biological identity of trees) के बारे में जानकारी मिलेगी। पेड़-पौधे जितना हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी है उतना ही हमारी संस्कृति का भी अहम हिस्सा हैं। ये हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीने की सीख देती है। इसीलिए पेड़ों को सहेजना उनके बारे में जानकारी हासिल करना जरूरी है।