वर्षा हर मायने में जीवनदायिनी होती है। कृषि, जल और मिट्टी को पोषित करने में वर्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्षा से वायु प्रदूषण भी खत्म होता है। यही नहीं बारिश होने से एक्यूआई में भी काफी सुधार होता है। इससे हवा में मौजूद प्रदूषण काफी हद तक खत्म होता है और विजिबिलिटी भी बढ़ जाती है। जानते हैं कि बारिश में ऐसा क्या होता है जिससे वायु प्रदूषण खत्म होता है…
बारिश से वायु प्रदूषण खत्म होने का मैकेनिज्म
आमतौर पर जब बारिश होती है तो हवा में मौजूद धूल कण उसकी ओर आकर्षित होकर जैल का निर्माण करते हैं। हवा में मौजूद ये पार्टिकल एरोसोल या एयर मॉल्यूक्यूल्स कहलाते हैं। इन कणों में कालिख, सल्फेट्स और कई तरह के कार्बनिक पार्टिकल मौजूद होते हैं। जो वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होते हैं। बारिश की बूंदें और एरोसोल आपस में अट्रैक्ट होकर आपस में जुड़ जाती हैं और धरती पर गिरती हैं। जिसके बाद पानी के साथ ये बह जाते हैं या और धरती इन्हें सोखती है।
अब दिमाग में ये सवाल जरूर आएगा कि ये प्रोसेस कैसे करती है। तो जैसे ही बारिश की बूंद एटमॉस्फियर में गिरती है, तो ये जमीन से टकराने के पहले सैकड़ों छोटे एयर मॉल्यूक्यूल्स को अपनी सतह पर अट्रैक्ट कर सकती है। रिसर्च में साफ हुआ है कि बारिश की बूंदें जितनी छोटी होंगी, हवा में मौजूद पॉल्यूशन के पार्टिकल्स उतने ज्यादा आकर्षित होंगे। कई बार ये प्रोसेस बादल की ऊंचाई और बारिश की तेजी पर भी डिपेंड करते हैं।
रिसर्च कहते हैं कि हर बारिश की बूंद ऑब्जर्व होती है। लिहाजा, बूंद वायुमंडल में मौजूद सभी आवेशित कणों के साथ मिलकर जैल बना लेते हैं। साफ है कि बारिश एयर पॉल्यूशन को नीचे लाती है और हवा में तैरने वाले खतरनाक कण ही हवा में जहर घोलने का काम करते हैं। यही कण सर्दी शुरू होने पर स्मॉग बनकर हवा में घुल जाते हैं। ये स्मॉग दृश्यता कम करने के साथ ही आसमान में धुआं सा बनाते हैं जो हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है।
बारिश होने तक ये कण हल्के होकर हवा में उड़ते हैं। बारिश के संपर्क में आकर जैल बन जाते हैं और धरती पर गिर जाते हैं। इसीलिए बारिश के बाद आमतौर पर हवा साफ होती है। साफ हवा में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, हीलियम, ओजोन, निऑन, जेनान, जलवाष्प के पार्टिकल्स मौजूद होते हैं। शुद्ध हवा में किसी भी तरह के प्रदूषक, दुर्गंध और धूल के कण भी नहीं होते हैं।
एक बात और है जाननी बेहद जरूरी है वो ये कि हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 100 या 50 फीसदी नहीं होती, बल्कि करीब 21 फीसदी तक ही होती है। इसके बाद वायुमंडल में दूसरी सबसे ज्यादा पाई जाने वाली गैस नाइट्रोजन है। इन सभी बातों में एक बात साफ होती है कि बारिश होने पर हवा साफ होगी और बारिश तब होगी तब पेड़ होंगे। तो सभी बात ही एक ही बात पर आती है पेड़ों की सुरक्षा और वृक्षारोपण ताकि जीवन को सहेज सकें आज के लिए भी और भविष्य के लिए भी।