जंगलों को सहेजेगी पांच हजार साल पुरानी देवरिया पद्धति, ट्री मैन ने बताए फायदे!

भारतीय इतिहास में जल, जंगल और जमीन किसी परंपरा की तरह है। यहां के लोगों के जीवन में इनका स्थान हमेशा से ऊपर रहा है। पेड़-पौधों को तो पूजना हमारी संस्कृति में शामिल है। यही वजह है कि यहां कभी रिचुअल्स से पेड़ों को संरक्षण दिया जाता है तो कभी अनुष्ठानों से इनकी सुरक्षा की जाती रही है। जंगलों और पेड़ों को बचाने की कई विधियां भी भारत में ही सृजित हुई हैं, इनमें से एक है पौधारोपण की 5 हजार साल पुरानी देवरिया पद्धति, जिसकी मदद से पर्यावरण को सहेजने की मुहीम फिर से शुरू की जा रही है।
 

ट्री मैन लगाएंगे देवरिया पद्धति से पौधे

पर्यावरणविद विष्णु लांबा को उनके कार्यों के लिए ट्री मैन कहा जाता है। उन्होंने दशकों से पर्यावरण को सहेजते आ रहे हैं। विष्णु लांबा ने 30 वर्षों में एक करोड़ ज्यादा पौधारोपण किया है। हाल ही में उन्होंने एक बातचीत के दौरान बताया कि पौधारोपण की 5000 वर्ष पुरानी देवरिया पद्धति को एक बार फिर उनकी संस्था श्री कल्पतरू शुरू करने वाली है। ट्री मैने लांबा का बचपन से ही पेड़ों के प्रति काफी लगाव था।

 

क्या है देवरिया पौधारोपण की देवरिया पद्धति?

ट्री मैन विष्णु लांबा के अनुसार पौधा लगाने की देवरिया पद्धति 5 हजार साल पुरानी है। इस पद्धति की मदद से पूरे देश में अभियान चलाया जाएगा जिसके अंतर्गत देशभर में देवरिया पद्धति से वन विकसित किए जाएंगे। पौधारोपण की यह पद्धति काफी प्राचीन है, जिसके माध्यम से उज्जैन में शिप्रा किनारे वाटिका विकसित होंगे। विष्णु लांबा का कहना है कि अगर देवरिया पद्धति से पौधे लगाए जाए तो वे काफी जल्दी बड़े होते हैं। साथ ही दूसरे पेड़ों के मुकाबले ज्यादा मात्रा आक्सीजन भी देते हैं।
ट्री मैन विष्णु लांबा लगातार इस पद्धति के बारे में लोगों को बता रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि इस पद्धति से लोग अपनी पुरानी संस्कृति के जरिए पेड़ों को उगाए और ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।


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Dr. Kirti Sisodia

Content Writer

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