Highlights:
• बीएचयूके बाद विक्रम विश्वविद्यालय हिन्दू स्टडी करवाने वाला दूसराविश्वविद्यालय
• विश्वविद्यालय ने 25 सीटों के साथ एमए हिंदू स्टडीज पाठ्यक्रम की शुरुआत की
• विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा में सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया
विक्रम विश्वविद्यालय में पहली बार हिंदू धर्म को एक पाठ्यक्रम के रूप में विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा।
विश्वविद्यालय ने इसी शिक्षा सत्र (2022-23) से मास्टर ऑफ आर्ट्स (हिंदू स्टडीज) कोर्स को शुरू किया है।बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के बाद इस तरह का कोर्स शुरू करने वाले विक्रम विश्वविद्यालय देश का दूसरा और प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। एमए हिंदू स्टडीज में विद्यार्थी हिंदू मान्यताएं, वैदिक ज्ञान, संस्कार, नैतिक मूल्य, वेद, उपनिषद्, पुराण सहित भारतीय ज्ञान परंपराओं का अध्ययन कर सकेंगे। इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा में सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया है।
विश्वविद्यालय ने 25 सीटों के साथ एमए हिंदू स्टडीज पाठ्यक्रम की शुरुआत की है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया पिछले वर्ष बीएचयू में देश का पहला हिंदू धर्म का कोर्स शुरू हुआ था। विश्वविद्यालय में बनाए गए भारत अध्ययन केंद्र में इस कोर्स की शुरुआत की गई है। जिसमें एडमिशन के लिए ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र में भारतीय ज्ञान परंपरा पर एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया गया है। इस सर्टिफिकेट कोर्स में भी 25 सीटों पर एडमिशन मिल सकेगा।
सैन्य विज्ञान का कराया जाएगा अध्ययन
एमए हिंदू स्टडीज का सिलेबस इस तरह तैयार किया गया है, जिसमें विद्यार्थियों को हिंदू धर्म की आत्मा, मान्यताओं और रूपरेखा सहित अन्य पारंपरिक ज्ञान का भी अध्ययन करवाया जाएगा। कुलपति प्रो. शर्मा ने बताया कि भारतीय वैदिक परंपरा, वेद, उपनिषद्, पुराण, इतिहास, भारतीय मान्यताएं, प्राचीन विदेश नीति, योग चिंतन, प्राचीन व्यापारिक गतिविधियां, प्राचीन आर्थिक गतिविधियां, वास्तु कला, प्राचीन युद्ध उपकरण एवं नीति, प्राचीन वैज्ञानिक परंपरा, धातु विज्ञान, पौराणिक परंपराएं, संस्कार, प्राचीन रसायन, भौगोलिक, खगोलीय विज्ञान, कला, शास्त्रीय संगीत सहित हिंदू धर्म से जुड़ेअन्य विषय भी शामिल रहेगी इस पाठ्यक्रम में। इस पाठ्यक्रम से युवा पीढ़ी में हिंदू सभ्यता, समाज, संस्कृति के आधारभूत सिद्धांतों की समझ विकसित हो सकेगी।
सैन्य विज्ञान का कराया जाएगा अध्ययन
इस प्रकार के पाठ्यक्रमों के कारण युवा पीढ़ी को भारत की ज्ञान परंपरा मिलेगी और आत्मविश्वास से परिपूर्ण होकर राष्ट्र एवं समाज निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन करने में समर्थ होगी।