कच्ची ईंटों की क्लास, सिर्फ 1 रुपये फीस… IITians की फैक्ट्री है बिहार का यह गांव



देश के लाखों बच्चे इंजीनियर और डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं और जी-जान लगाकर मेहनत करते हैं। अब तो देश के लगभग हर शहर में लाखों कोचिंग सेंटर खुल गए हैं, जहां बच्चों से मोटी फीस वसूल कर उन्हें इन परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। आईआईटी और नीट के लिए सबसे प्रसिद्ध शहर राजस्थान का कोटा है, जहां तमाम कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। यहां देशभर से बच्चे पढ़ने आते हैं। लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि बिहार में एक गांव ऐसा है, जहां लगभग हर घर में IITians हैं तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन ये बिल्कुल सच है। बिहार के गया जिले में आने वाला ‘मानपुर पटवाटोली’ गांव आईआईटी के लिए मशहूर है। इसे ‘बिहार का कोटा’ और ‘ IITians के गांव’ के नाम से जाना जाता है।

30 साल पहले शुरू हुआ सिलसिला

गांव में करीब 1 हजार परिवार रहते हैं। और हर घर में कोई न कोई इंजीनियर या डॉक्टर है। गांव में इंजीनियर बनने का सिलसिला 1992 से शुरू हुआ था। यहां से सबसे पहले जितेंद्र प्रसाद ने आईआईटी की परीक्षा पास की थी। इसके बाद गांव के अन्य बच्चों में भी आईआईटी के प्रति रुझान बढ़ा।

बच्चों ने खुद से ही आईआईटी की तैयारी करना शुरू कर दिया। लेकिन गांव में पढ़ाई के संसाधन नाकाफी थे। इसके बाद बच्चों की मदद करने के लिए गांव के ही दुर्गेश्वर प्रसाद और चंद्रकांत पाटेश्वरी सामने आए। उन्होंने गांव के बच्चों की पढ़ाई के लिए एक लाइब्रेरी शुरू की। इसके साथ ही तैयारी करने वाले बच्चों को फ्री में कोचिंग देना शुरू किया। इन दो युवाओं के प्रयासों का ही नतीजा है कि पिछले साल इनके यहां तैयारी करने वाले 40 बच्चों में से 19 ने आईआईटी की परीक्षा पास की।

केवल 1 रुपये है फीस

जब दुर्गेश्वर से पूछा गया कि गांव में सेंटर चलाने में आने वाला खर्च निकालने के लिए आप क्या करते हैं? तो उन्होंने बताया कि गांव के लोग और आसपास के लोग इस काम में उनकी मदद करते हैं। कोरोना टाइम में वृक्ष संस्था के लोगों ने समाज से पुराने मोबाइल और लेपटॉप इकट्ठे किए और बच्चों को दिए ताकि वो ऑनलाइन अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। इसके अलावा उन्होंने ‘वन डे वन रुपये’ स्कीम शुरू की है। इसके तहत सेंटर पर पढ़ने वाले बच्चे उन्होंने एक दिन की 1 रुपये फीस देते हैं। उनका मानना है कि इससे बच्चों के पेरेंट्स पर कोई एक्स्ट्रा बोझ नहीं पढ़ता है और सेंटर भी ठीक से चल जाता है।

पास कस्बे के एसबीआई बैंक के मैनेजर ने यहां के बच्चों को कई बार सम्मानित किया है। एसबीआई मैनेजर ने कहा है कि जब भी गांव का कोई बच्चा आईआईटी में सिलेक्ट होगा तो उसे बैंक की तरफ से एजुकेशन लोन की व्यवस्था वो करेंगे। गांव के प्रधान प्रेम नारायण भी इस काम में काफी सहयोग करते हैं। अगर आप कभी गया जाएं तो एक बार आईआईटियंस के इस गांव नें भी जा सकते हैं।

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Dr. Kirti Sisodia

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