• सदविद्या प्रतिष्ठानम की 5वीं ऑनलाइन संभाषणशाला सीरीज शुरू
• 54 साल से संस्कृत भाषा से लोगों को जोड़ रहा संस्थान
• संस्कृत भाषा से जुड़ाव पैदा करने पहल
सभी भारतीय भाषाओं की जननी के रूप में संस्कृत की पहचान है। यह हमारी प्राचीन भाषा ही नहीं बल्कि हमारा गौरव भी है। लेकिन तेजी से एडवांस होते दौर में संस्कृत के बारे में लोगों की रूचि कम होती जा रही है। लेकिन एक संस्थान है जो इसकी जिवंतता को बनाए रखने के लिए सदविद्या प्रतिष्ठानम (SVP) पिछले 54 सालों से प्रयासरत् है, यही नहीं ये अब ऑनलाइन भी लोगों को संस्कृत से जोड़ रहा है।
‘सदविद्या प्रतिष्ठानम
संस्कृत भाषा से जुड़ाव पैदा करने के उद्देश्य से 54 साल से जुटे हुए संस्थान ‘सदविद्या प्रतिष्ठानम ने संस्कृत संभाषणशाला की शुरूआत की है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन शुरू इस प्रयास की ये 5वीं ऑनलाइन सीरीज है। ‘सदविद्या प्रतिष्ठानम’ की नींव संस्कृत और वेदों के विद्वान प्रोफेसर (दिवंगत) श्री पद्मनाभ शर्मा ने की थी।
वेद-शास्त्र पाठशाला की स्थापना साल 1967 में आचार्य पद्मनाभ शर्मा (गुरुजी) द्वारा की गई थी, जिसे बाद में संस्कृत भाषा, वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता के प्रचार के लिए सदविद्या प्रतिष्ठानाम नाम कर दिया गया। प्रतिष्ठानम की प्रबंधन समिति और विशेषज्ञों के समूह में विद्वान, वरिष्ठ नौकरशाह, कामकाजी पेशेवर और पूर्व छात्र भी शामिल हैं। सदविद्या प्रतिष्ठानम से जुड़ने और ज्यादा जानकारी के लिए पर infosadvidya@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
संस्कृत और करियर के रूप में अवसर
संस्कृत विषय के अध्ययन के बाद युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होते हैं। ये अवसर सरकारी निजी और सामाजिक सभी क्षेत्रों में मौजूद है। माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य और ऐच्छिक विषय के रूप में संस्कृत विषय की पढ़ाई के लिए प्रवक्ता या प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक की जरूरत होती है। इसके लिए संस्कृत से स्नातक परीक्षा (शास्त्री, बीए) उत्तीर्ण और अध्यापन में प्रशिक्षण (बीएड) प्राप्त अभ्यर्थी पात्र होते हैं। समय समय पर केवीएस व समस्त राज्यों के शिक्षा विभाग इसकी सूचना देते रहते हैं। प्रशासनिक सेवा संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से भी प्रतिवर्ष संस्कृत के जानकारों के लिए भर्तियां होती रहती हैं।
संस्कृत शिक्षा के लिए प्रमुख संस्थान
-संस्कृत महाविद्यालय, इंदौर (मध्य प्रदेश)
-विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन (मध्य प्रदेश)
– महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन (मध्य प्रदेश)
– गंगानाथ झा परिसर, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)
-गुरुवायूर परिसर, पुराना टुकरा, त्रिचूर (केरल)
-राजीव गांधी परिसर, शृंगेरी (कनार्टक)
– श्री सदाशिव परिसर, पुरी (ओड़ीशा)
-जयपुर परिसर, जयपुर (राजस्थान)
-लखनऊ परिसर, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)