Sanjhi Craft: ‘सांझी क्राफ्ट’ श्री कृष्ण की नगरी मथुरा की प्राचीन और प्रसिद्ध कला है। इस कला को देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी पहचान मिल चुकी है। इस कला का ओरिजन मथुरा से हुआ है। इसलिए इसमें श्री कृष्ण और राधा की प्रेम की झलक दिखाई देती है। हाल ही में इस कला को जीआई टैग भी दिया गया था। आइए जानते हैं सांझी कला की क्या खासियत है।
राधारानी के प्रेम का प्रतीक
वैसे तो सांझी कला का एक तरह की साज-सज्जा से जुड़ी हुई कला है, लेकिन इससे राधा-कृष्ण के प्रेम को दर्शाया जाता है । इस कला को राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाताहै। यह कला पुष्टिमार्गीय व वल्लभ कुल से संबंधित है। सांझी कला ब्रज की अनेक पहचानों में से एक मानी जाती है। लेकिन लोगों को इसकी जानकारी कम होने की वजह से यह अपनी पहचान खो रही थी। ग्लोबल मार्केट मे इस कला का नाम आने के बाद इसे वह पहचान मिली जिसकी यह हकदार थी।
पुराणों में है उल्लेख
सांझी कला की प्राचीनता और महत्व का अंदाजा इसी बात लगाया जा सकता है कि इस कला का उल्लेख हमें पुराणों में भी देखने को मिलता है। वृंदावन में सांझीकारों में राधारमण मंदिर और राधावल्लभ मंदिर के सेवायतों के अलावा भट्ट घराना जुड़ा है। पुराणों में उल्लेख है कि द्वापर में शाम के समय जब भगवान श्रीकृष्ण गोचारण करके आते थे, तो ब्रज गोपियां उनके स्वागत के लिए फूलों की चित्रकला सजाकर स्वागत करती थीं। तभी से ब्रज में सांझी कला की शुरुआत पड़ी। सांझ को स्वागत में बनाई जाने के कारण इस कला का नाम सांझी कला पड़ा।
बाइडन को भेंट की सांझी कला
तीन दशक से मंदिरों तक सीमित रही सांझी कला को जीवंत करने के लिए द ब्रज फाउंडेशन ने करीब दस साल पहले प्राचीन ब्रह्मकुंड पर सांझी मेले का आयोजन किया था। सांझी कला की शुरुआत ब्रज में हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी इस कला के जानकार अब कम हैं। इस प्राचीन कला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2022 में वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई, जब उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को सांझी की कृति भेंट की थी।