Rahul Sankrityayan: यात्री कवि जिनकी रचनाओं ने खोले दुनिया के द्वार!

Rahul Sankrityayan: अपनी रचनाओं से विश्व की संस्कृति, बोली, भाषा और भौगोलिक जानकारी उपलब्ध करवाने वाले महान कवि पंडित राहुल सांकृत्यायन संभवत: भारत के पहले ट्रैवल व्लॉगर (Travel Vlogger) हैं। लगभग 20 भाषाओं और न जानें कितनी ही बोलियों के जानकार कवि राहुल का असली नाम केदारनाथ पाण्डे था। भारतीय साहित्य के पुरोधा के रूप में उनकी पहचान है। राहुल सांस्कृत्यायन को अगर आज की पीढ़ी नहीं जानती है तो हम बताते हैं क्यों नई पीढ़ी को राहुल सांकृत्यायन को जरूर पढ़ना चाहिए।

राहुल सांकृत्यायन के बारे में

राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan) का जन्म उत्तरप्रदेश के पंदहा गांव में 9 अप्रैल 1893 में हुआ। राहुल सांकृत्यायन के नाना फौज में थे, उन्होंने ही राहुल को बचपन में कई किस्से कहानियों से परिचित करवाया। यहीं से उन्होंने यात्राओं का चित्रण अपने मन में करना शुरू कर दिया था। 14 वर्ष की उम्र में राहुल ने यात्रा के लिए घर छोड़ दिया। उन्होंने काशी में सन्यासियों के साथ भारतीय साहित्य पर गहरा अध्ययन किया तो, दक्षिण भारत में संस्कृत पर, तिब्बत प्रवास के दौरान पालि-ग्रन्थों और लाहौर यात्रा के दौरान अरबी भाषा सीखकर इस्लामी धर्म-ग्रन्थों का अध्ययन किया।

राहुल के साहित्य में असली भारत

राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan) ने बौद्ध धर्म के बारे में पढ़ा और भारतीय संस्कृतियों में इसकी जड़ों को खोजा। राहुल उस दौर के रचनाकार थे, जब भारत अंग्रेजों के संक्रमणकाल से गुजर रहा था। हमारे इतिहास और संस्कृति से अंग्रेज छेड़छाड़ कर रहे थे। तब राहुल की रचनाओं ने असल भारत का बोध करवाया।

जहाँ भी वे गए वहाँ की भाषा व बोलियों को सीखा। वे लोगों में घुलमिल कर वहाँ की संस्कृति, समाज व साहित्य का गूढ़ अध्ययन करते थे। उन्होंने भारतीय साहित्य के असल रंग को अपनी रचनाओं में उकेरा। राहुल की मेधा को साहित्य, अध्यात्म, ज्योतिष, विज्ञान, इतिहास, समाज शास्त्र, राजनीति, भाषा, संस्कृति, धर्म एवं दर्शन के टुकड़ों में बाँटकर नहीं देखा जा सकता।

गोंड राजाओं का इतिहास, जो छुपा दिया गया? 

जीवंत हैं रचनाएं

राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan) ने हर क्षेत्र के अध्ययन को अपनी रचना और आम लोगों की भाषाओं में ऐसा पिरोया कि उन्हें पढ़कर सहसा ये लगेगा कि आप एक यात्रा पर निकल पड़े हों। सही मायने में उन्होंने घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के जरिए हिंदी साहित्य में संस्कृतियों से रू-ब-रू होने और ज्ञान की खिड़कियां खोलने की नई विधा को विकसित किया है, जिसका हिंदी साहित्य में कतई अभाव था। जिस तरह कभी उनकी यात्रा नहीं थमी, उसी तरह उनके हाथ की लेखनी भी कभी नहीं रुकी।

Positive सार

राहुल सांकृत्यायन (Rahul Sankrityayan) ने अनगिनत विषयों पर लगभग 150 से अधिक किताबें लिखी हैं, जिनमें प्रकाशित ग्रन्थों की संख्या करीब 129 है। भले ही दुनिया बदलती जा रही है, लेकिन उनकी किताबें आज भी आपको तमाम देशों के भूगोल के साथ संस्कृतियों से जोड़ते हुए प्राचीन दुनिया की सैर करवाती है।

Avatar photo

Rishita Diwan

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Owner/Editor In Chief: Dr.Kirti Sisodia 

Office Address: D 133, near Ram Janki Temple, Sector 5, Jagriti Nagar, Devendra Nagar, Raipur, Chhattisgarh 492001

Mob. – 6232190022

Email – Hello@seepositive.in

FOLLOW US​

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.