Prayas Residential School: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से निकलकर जब कोई बच्चा 10वीं बोर्ड की मेरिट लिस्ट में आता है, तो वो सिर्फ परीक्षा नहीं बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक बाधाओं को भी पार करता है। प्रयास आवासीय विद्यालय के बच्चों ने ऐसा ही कमाल कर दिखाया है। माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा घोषित कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा परिणाम में प्रयास विद्यालय के 13 छात्रों ने टॉप 10 में स्थान बनाकर एक नया इतिहास रच दिया है। खास बात यह रही कि इस बार प्रयास का ओवरऑल रिजल्ट 100% रहा और 98.35% बच्चों ने प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास की है।
इन बच्चों की इस शानदार सफलता पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, मंत्री श्री रामविचार नेताम, प्रमुख सचिव श्री सोनमणि वोरा और आयुक्त डॉ. साराशं मित्तर ने शुभकामनाएं दी हैं। इन सभी ने बच्चों की लगन और स्कूल के योगदान की सराहना की।
साधारण पृष्ठभूमि से निकले असाधारण सितारे
ये बच्चे मुख्य रूप से नक्सल प्रभावित और पिछड़े क्षेत्रों से आते हैं। ऐसे में संसाधनों की कमी के बावजूद इन्होंने जो कर दिखाया है, वह प्रेरणादायक है। मेहनत, अनुशासन और प्रयास विद्यालय की बेहतर गाइडेंस ने बच्चों के सपनों को पंख दे दिए हैं। किसी का सपना IAS बनने का है, तो कोई Engineer या Doctor बनने का ख्वाब देख रहा है। इनका जुनून ही इनकी असली ताकत है।
प्रयास के इन विद्यार्थियों ने कहा कि स्कूल में एडमिशन से पहले उन्हें पढ़ाई को लेकर इतना उत्साह नहीं था। लेकिन यहां के सकारात्मक माहौल, motiving teachers और strict discipline ने उनकी सोच और लक्ष्य को दिशा दी।
किसने बनाई टॉप 10 में जगह?
प्रयास कन्या आवासीय विद्यालय, गुढ़ियारी, रायपुर की 5 छात्राओं ने मेरिट में जगह बनाई,
- खुशबू सेन – 8वां स्थान
- महक चंद्रवंशी – 9वां स्थान
- अंजली साहू, नेहा चक्रधारी और काव्या वर्मा – 10वां स्थान
- प्रयास कांकेर के जतिन नरेटी – 5वां, डेविड गावड़े – 6वां स्थान।
- अंबिकापुर की खुशबू बारिक और दिया चौहान – 10वां-10वां
- दुर्ग के बिट्टू कुशवाहा – 9वां
- कोरबा की डिम्पल – 10वां
- जशपुर की स्तुति पांडे – 8वां
- बालोद की भूमिका साहू – 10वां
एक उम्मीद, एक दिशा
प्रयास योजना, मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के प्रतिभाशाली बच्चों को quality education और competitive exams की तैयारी के लिए platform देना है। यही नहीं, उन्हें प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिला दिलाकर एक स्थायी जीवन सुनिश्चित करना भी इसका मकसद है।
प्रयास विद्यालयों की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव और बलरामपुर में नए प्रयास विद्यालय खोलने की मंजूरी दी है, जिससे अब प्रदेश में इनकी संख्या 17 हो जाएगी।
संघर्ष से सफलता तक की ये यात्रा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह बताती है कि सही दिशा, सही माहौल और सच्ची मेहनत किसी भी पृष्ठभूमि को बदल सकती है।