Nalanda University: शिक्षा का केंद्र क्यों है नालंदा विश्वविद्यालय?

Nalanda University: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय का शुभारंभ किया। ये एक ऐतिहासिक फैसला है। जो भारत के प्राचीन शिक्षण संस्थान को एक नया रूप में स्थापित कर चुका है। भारत को एक बार फिर से 815 सालों के बाद नालंदा का गौरव प्राप्त हो चुका है। जानते हैं अब के नालंदा में क्या है खास और क्या था इसका प्राचीन इतिहास…

खबरों में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को बिहार का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने 815 साल बाद नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। बता दें कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण वर्ष 427 में हुआ था। इसे सम्राट कुमार गुप्त ने बनवाया था। तब ये दुनियाभर में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा शिक्षा का केंद्र था। दुनियाभर के स्टूडेंट और रिसर्चर यहां पहुंचते थे।

यूनेस्को का विश्व धरोहर

नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। इसे वर्ष 1193 में दिल्ली सल्तनत के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने आग लगा दिया था। ऐसा कहा जाता है कि यहां किताबों का विशाल संग्रह था। जिसकी वजह से यहां आग लगने के बावजूद महीनों आग जलती रही। कभी नालंदा खंडहर हो चुके इस भारतीय विरासत को एक बार फिर से जीवंत रूप दिया गया है।

नालंदा विश्वविद्यालय की खासियत

  • 455 एकड़ का कैंपस
  • 1749 करोड़ रुपए लागत
  • नालंदा विश्वविद्यालय कैम्पस में 40 कक्षाओं वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक
  • कुल बैठने की क्षमता लगभग 1900
  • 300 सीटों की क्षमता वाले दो सभागार
  • 550 छात्रों की क्षमता वाला एक छात्र छात्रावास
  • अंतरराष्ट्रीय केंद्र, 2000 व्यक्तियों तक की क्षमता वाला एम्फीथिएटर
  • फैकल्टी क्लब और खेल परिसर सहित कई अन्य सुविधाएं
  • ‘नेट जीरो’ ग्रीन कैंपस

नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास

पांचवीं सदी  कुमार गुप्त प्रथम ने इस विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया था। पांचवीं से 12वीं सदी तक ये दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शिक्षा का केंद्र था। यहां बौद्ध दर्शन के साथ ज्ञान- विज्ञान का भी अद्भुत केंद्र था। खिलजी के विध्वंस के करीब आठ सौ साल बाद केंद्र सरकार और बिहार सरकार के संयुक्त प्रयास से नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से शुरू किया गया।

पुनर्जीवित करने में अब्दुल कलाम की अहम भूमिका

इसके पुर्ननिर्माण में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अहम भूमिका निभाई है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात करें तो उन्होंन नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन के बाद पीपल (बोधिवृक्ष ) का पौधारोपण किया। यहां पहली बार 1951 में नव नालंदा महाविहार का शिलान्यास करने के बाद देश के पहले राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद ने  बोधिवृक्ष ( पीपल) लगाया था।

 READ MORE सांसदों को हर महीने कितनी मिलती है सैलरी?

Positive सार

नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) एक मात्र कार्बन मुक्त नेट जीरो कैंपस के रूप में स्थापित है। इसके डिजाइन और निर्माण में पर्यावरण और वास्तुकला का ध्यान रखा गया है। शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीनकाल से ही अपनी एक अलग पहचान रखता नालंदा एक बार फिर वैश्विक पहचान का प्रतीक बन गया है।

Avatar photo

Rishita Diwan

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Owner/Editor In Chief: Dr.Kirti Sisodia 

Office Address: D 133, near Ram Janki Temple, Sector 5, Jagriti Nagar, Devendra Nagar, Raipur, Chhattisgarh 492001

Mob. – 6232190022

Email – Hello@seepositive.in

FOLLOW US​

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.