Lady of Justice: न्याय का मंदिर कहे जान वाले कोर्ट में न्याय की देवी की मूर्ति भी लगी हुई होती है। सालों से हम देखते आ रहे हैं न्याय की यह देवी अपने आंखों में काली पट्टी लगाए होती है। इनके एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथों में तलवार होती थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से आई एक तस्वीर में अब (Lady of Justice:)“लेडी ऑफ जस्टिस” की यह छवि कुछ बदली हुई नजर आ रही है। आइए जानते हैं लेडी जस्टिस की मूर्ति में क्या बदलाव किए गए हैं।
CJI ने किए बदलाव
सुप्रीम कोर्ट में लगी न्याय की देवी की यह मूर्ति चीफ जस्टिस डी वाय चंद्रचूर्ण की पहल से लगाई गई है। अक्सर कोर्ट में देखी जाने वाली इस मूर्ति को “लेडी ऑफ जस्टिस” कहा जाता है। बताया जा रहा है कि इस मूर्ति को कई महीनों पहले ही बना ली गई थी। अभी यह मूर्ति सुप्रीम कोर्ट के जजेस लाइब्रेरी में लगाई गई है। बदली गई यह मूर्ति क्या पूरे देश में लगाई जाएगी, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
लेडी ऑफ जस्टिस में क्या बदलाव हुए?
न्याय की देवी की यह नई मूर्ति (Lady of Justice:) आकार में पुरानी मुर्तियों से काफी बड़ी है। सफेद रंग की इस मूर्ति को साड़ी में दिखाया गया है। सबसे बड़ा बदलाव है कि मूर्ति की आंखों से काली पट्टी हटा दी गई है। वहीं न्याय की देवी के हाथ में पहले की तरह ही तराजू है। लेकिन दूसरे हाथ मे तलवार हटाकर संविधान को दिखाया गया है।
क्या हैं आंखों में पट्टी का मतलब?
पहले जो न्याय की देवी की मूर्ति (Lady of Justice:) थी उनकी आंखों में पट्टी लगी होती थी। इसका मतलब यह नहीं था की कानून अंधा होता है और सही फैसला नहीं देता। काली पट्टी इस बात का दिखाती थी कि न्याय की देवी सबकों एक समान देखती है और बिना किसी भेदभाव के न्याय करती है। तराजू सभी सबूतों, गंवाहों को अच्ची तरह से परखने का प्रतीक है वहीं तलवार दोषी को सजा देने का प्रतीक माना जाता है।