भारत के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे राज्यों में केरल पहले नंबर पर आता है। हेल्थ के लिहाज से भी केरल टॉप पर है। लेकिन केरल का कोल्लम जिले की तो एक अलग ही पहचान है। दरअसल यहां का हर व्यक्ति संविधान साक्षर है। जिसका मतलब है कि संविधान की ठीक-ठाक जानकारी यहां के सभी लोगों है। फिर चाहे वो बच्चा हो या बड़ा।
हर शख्स करता है संविधान की पढ़ाई
केरल कोल्लम जिले के हर नागरिक को संविधान की प्रमुख बातें पता हैं। अगर कहा जाए कि ये देश का ऐसा अकेला जिला है, जहां के हर शख्स ने संविधान की पढ़ाई जाती है तो ये सही होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां 10 साल की उम्र पार कर चुके हर बच्चे को संविधान का मूल ज्ञान होता है।
ऐसे हुई थी शुरूआत
भारतीय संविधान भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है। इसका ज्ञान हर किसी को होना चाहिए, लेकिन ज्यादातर लोग इस विषय में रूचि नहीं लेते हैं। लेकिन केरल के इस जिले में कुछ साल पहले लोगों को संविधान साक्षर बनाने के लिए एक अभियान की शुरूआत की गई थी। इस अभियान का नाम था ‘सिटीजन प्रोग्राम’। इस प्रोग्राम में महिला से लेकर पुरुष, अधिकारी हो या कर्मचारी, किसान हो या मजदूर-हर किसी को संविधान पढ़ाया गया।
कोल्लम में 14 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। कोल्लम जिला पंचायत, कोल्लम जिला योजना समिति और केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ने ‘सिटीजन 2022’ पहल के तहत संविधान की शिक्षा का अभियान शुरू किया था।
केरल में कोल्लम जिले के थेनमेला गांव की एक मनरेगा कार्यकर्ता कहती हैं कि “मेरे पास हथौड़ा और संविधान दोनों हैं।”. केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन (KILA) ने जिले के ज्यादातर लोगों तक संविधान की कॉपी पहुंचाई जिन्हें यहां के लोग पढ़ते हैं। केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन (KILA) ने संविधान का एक ऐसा संस्करण बनाया है जो हर किसी को आसानी से समझ में आता है। संविधान के सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों को उनके दैनिक जीवन से जोड़कर आसानी से समझाने का प्रयास किया गया है।
14 जनवरी 2023 को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कोल्लम को भारत के पहले संविधान साक्षर जिले के रूप में इसकी घोषणा की थी।
कोल्लम का सामाजिक और प्रगतिशील आंदोलनों से जुड़ाव सदियों से रहा है। 1991 में साक्षरता आंदोलन ने जिले को 100 फीसदी साक्षर बना दिया। 1996 में आयोजित जन योजना अभियान को भी आम लोगों की भागीदारी से बड़ी सफलता मिली थी।
स्थानीय प्रशासन की यह पहल काफी सराहनीय है। इससे सरकार को अपने कार्यों के लिए लोगों को जवाबदेह बनाने काफी मदद मिलेगी। यह धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक माहौल को बेहतर बनाने में भी सरकार की मदद करेगा।