ISRO को मिला एक और होनहार, गरीब परिवार के लड़के का ऐसे हुआ चयन!

ISRO आज हर भारतीय के लिए एक ऐसा संस्थान बन गया है जिसके बारे में गर्व से बात की जाती है। भारतीय विज्ञान को ISRO के वैज्ञानिकों ने जहां पहुंचाया है उसकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है। यहां काम कर रहे साइंटिस्ट की कहानी भी काफी प्रेरित करने वाली है, कोई किसान का बेटा है तो कोई बेहद गरीब परिवार से यहां पहुंचा है और आज इन्हीं वैज्ञानिकों के दम पर ISRO बड़े और ताकतवर देशों के अंतरिक्ष रिसर्च संस्थानों के साथ बराबरी से चल रहा है। ऐसे ही एक और होनहार को अब ISRO में जगह मिली है, जिनकी कहानी न सिर्फ काफी प्रेरणादायी है बल्कि ये उन गरीब बच्चों को साहस भी देगी जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं। 

मेहनत और सफलता की अनोखी कहानी 

ये कहानी है बिहार में रहने वाले तपेश्वर कुमार की, जिन्होंने 9वीं क्लास में स्पेस का वीडियो देख इसरो में जाने का सपना बना लिया। तब तपेश्वर को न तो ये पता था कि ISRO क्या होता है और न ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी कि माता-पिता उन्हें इस सपने को संजोने का साहस दे सकते, लेकिन कहते हैं न कि कुछ लोग जो ठान लेते हैं उसे करके ही दम लेते हैं। तपेश्वर कुमार ऐसे ही लोगों में से एक थे। तपेश्वर कुमार को विज्ञान में दिलचस्पी थी ये बात उनके शिक्षक भी जानते थे। बस फिर क्या हुए एक रोज स्कूल के एक शिक्षक ने मोबाइल में यूट्यूब के माध्यम से अपोलो मिशन का वीडियो उन्हें दिखाया। इस विडियो के बाद तपेश्वर को अंतरिक्ष विज्ञान को जानने और पढ़ने की जिज्ञासा हो गई। 

तपेश्वर की पढ़ाई के लिए माता-पिता ने गिरवी रखी जमीन 

तपेश्वर बेहद गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता के पास बिहार के बरगही गांव में थोड़ी सी जमीन है जिस पर वो खेती करके अपने परिवार का पेट भरते हैं। जब तपेश्वर के पिता को बेटे के सपने के बारे में पता चला तो उन्होंने अपनी जमीन गिरवी रख दी ताकि तपेश्वर के सपने पूरे हो सके। 

मेहनत से हासिल की सफलता

तपेश्वर दिन-रात कड़ी मेहनत करते। उन्होंने 12-14 घंटे की पढ़ाई रोज की ताकि कॉम्पिटिशन में जगह बनाकर इसरो पहुंच सकें। उन्होंने अपनी मेहनत के बदौलत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) में जगह बना ली और अब वे अपने सपनों के रास्ते पर चल पड़े हैं। उन्होंने पहली बार में ही सफलता हासिल कर इसरो में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर ज्वाइन किया है। 

ऐसा रहा सफर

इसरो में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर अपनी सेवा दे रहे तपेश्वर कुमार ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से ही पूरी की है। इसके बाद 2018 में बिहिया के हाई स्कूल से मैट्रिक पास कर उन्होंने 2021 तक पटना न्यू गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज में डिप्लोमा किया। साल 2018-21 बैच में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से डिप्लोमा करते हुए उन्होंने इसरो के लिए TCS की परीक्षा की तैयारी की और पहली बार में ही टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर सिलेक्ट हुए। 

 Positive डोज़ 

तपेश्वर की कहानी नहीं बल्कि खुद तपेश्वर एक प्रेरणा हैं। वो ये बताते हैं कि उन्होंने बिना स्थिति और परेशानियों के बारे में सोचे सिर्फ सपना देखा। अपने सपने को पूरा करने के रास्ते पर बढ़े और मेहनत किया और आज सफलता की सीढ़ी वो चढ़ चुके हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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