International Mother Language Day क्यों मनाते हैं, भारत में हैं कितनी भाषाएं?

International Mother Language Day: मध्य भारत में छत्तीसगढ़ी, हिंदी, बुंदेली, बघेलखंडी तो पश्चिम में मराठी, राजस्थानी कन्नड़, उत्तर में पंजाबी, गढ़वाली, हरियाणवी तो दक्षिण में तमिल, तेलुगू और पूर्व में उड़िया, असमी, जैसी भाषाओं से मिलकर बना है भारत। देश एक लेकिन 19 हजार 500 के लगभग बोली और भाषा का इस्तेमाल यहां किया जाता है। जिसे अलग-अलग क्षेत्र के लोग मातृभाषा कहते हैं। है न आश्चर्य की बात। मातृभाषा के इसी गौरव को सेलीब्रेट किया जाता है 21 फरवरी को, भारत के साथ पूरी दुनिया इस दिन को अपनी मातृभाषा के गौरव के लिए समर्पित करती है, क्योंकि इसी दिन को यूनाइटेड नेशन (UN) ने अंतरर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) घोषित किया है। जानते हैं क्या है इसका इतिहास और क्या है साल 2024 की थीम…

मातृभाषा दिवस के बारे में

अंतरर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) की शुरुआत 17 नवंबर 1999 को यूनेस्को ने की थी। पहली बार साल 2000 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में सेलीब्रेट किया गया था। लोगों के बीच भाषाओं के प्रति प्रेम, संरक्षण और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ये पहल की गई थी।

क्या है इतिहास?

बात 21 फरवरी 1952 की है जब ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए एक विरोध प्रदर्शन किया। ये विरोध कुछ समय बाद एक बड़े नरसंहार में बदल गया जब तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाकर कई लोगों की हत्या कर दी। इसी घटना के बाद यूनेस्को ने साल 1999 में इस बड़े भाषा आंदोलन में शहीद हुए लोगों की याद में पहली बार अंतरर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) मनाने की घोषणा की थी। ये कहना गलत नहीं होगा कि बांग्ला भाषियों के अपनी Mother Language के प्रति प्रेम के कारण ही आज विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के जरिए दुनिया की सभी मातृभाषाओं को एक नया मंच मिला।

2024 की थीम

अंतरर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2024 (International Mother Language Day 2024) का थीम है  “बहुभाषी शिक्षा अंतर-पीढ़ीगत शिक्षा का एक स्तंभ है”। ये अंग्रेजी में Multilingual education, a pillar of learning है। इस साल का थीम अंतर-पीढ़ीगत शिक्षा को बढ़ावा देने में बहुभाषी शिक्षा के महत्व को बताता है, जो कि विभिन्न पीढ़ियों के बीच ज्ञान, कौशल, मूल्यों और अनुभवों के आदान-प्रदान की एक प्रक्रिया है।

जरूरी है स्थानीय भाषाओं का जीवित होना

  • इससे हम अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं।
  • खत्म होती भाषाओं और संस्कृतियों को बुजुर्गों से युवा पीढ़ी तक ट्रांसफर कर उन्हें सुरक्षित, संरक्षित और पुनर्जीवित करने में सहायता मिलती है।
  • हमारी भाषाई और सांस्कृतिक पहचान का सम्मान और मूल्यांकन होता है।
  • यह गरीबी, असमानता, जलवायु परिवर्तन और शांति की चुनौतियों का समाधान करके सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करता है।

Positive सार

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस दुनिया में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद को एक नई पहचान देता है। ये एक ऐसा अवसर है जब हम अपनी संस्कृति, बोली और भाषा को सेलीब्रेट कर सकते हैं। आने वाली पीढ़ी को इससे जोड़ सकते हैं। अंतरर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) के दिन हमें हमारी पहचान, अनुभूति, शिक्षा और समाज के लिए अपने मातृभाषा के लिए गौरान्वित होने का मौका मिलता है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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