Indian languages education: शिक्षा मंत्रालय की एक क्रांतिकारी पहल ने अब मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी जैसे टफ कोर्सेज को आसान बना दिया है। अब छात्रों को अंग्रेजी की बाधा पार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि जल्द ही देशभर के UG और PG कोर्स की मुख्य किताबें 22 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगी, वो भी डिजिटल फॉर्म में!
‘भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना’
इस खास प्रोजेक्ट का नाम है भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना। इसका मकसद है कि देशभर के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ाए जा रहे 60,000 से ज्यादा कोर्स की 2.5 लाख किताबों का अनुवाद 22 भाषाओं में किया जाए। शुरुआत में हर कोर्स की 2 से 3 जरूरी किताबें ट्रांसलेट की जाएंगी और फिर इन्हें स्टूडेंट्स के लिए डिजिटल फॉर्म में फ्री में मुहैया कराया जाएगा।
भाषाओं की दीवार होगी खत्म
अब तक गांव या गैर-इंग्लिश बैकग्राउंड से आने वाले स्टूडेंट्स मेडिकल, इंजीनियरिंग या साइंस जैसे कोर्सेज में एडमिशन लेने से कतराते थे। वजह? अंग्रेजी की किताबें। लेकिन अब वो समय गया। छात्र अब अपनी मां-बोली या पसंद की भाषा में वो ही कोर्स पढ़ सकेंगे, जो पहले सिर्फ इंग्लिश में मिलते थे।
पहले किन कोर्स की होगी शुरुआत?
शुरुआत में उन्हीं कोर्स की किताबों का अनुवाद किया जाएगा जिनकी डिमांड राज्यों की ओर से पहले आएगी। उदाहरण के लिए अगर मणिपुर से रिक्वेस्ट आती है कि B.Sc. नर्सिंग की किताबें मणिपुरी में चाहिए, तो सबसे पहले वही ट्रांसलेट की जाएंगी। फिर वो किताबें बाकी भाषाओं में भी तैयार होंगी।
कौन-कौन सी भाषाएं होंगी शामिल?
शिक्षा मंत्रालय जिन 22 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन करेगा, वो हैं, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, बंगाली, असमिया, उर्दू, गुजराती, पंजाबी, ओड़िया, कोंकणी, मैथिली, कश्मीरी, डोगरी, बोडो, मणिपुरी, संथाली, नेपाली, संस्कृत और सिंधी।
डिजिटल फॉर्मेट में पढ़ाई
इन किताबों को डिजिटल फॉर्म में तैयार किया जाएगा, जिससे छात्र उन्हें कभी भी, कहीं भी पढ़ सकते हैं। ज़रूरत होने पर संस्थान इनका प्रिंटेड वर्जन भी निकलवा सकेंगे। यह कदम खासकर ग्रामीण और दूरदराज़ के स्टूडेंट्स के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।
तकनीकी टर्म्स का होगा सम्मान
अनुवाद के दौरान तकनीकी या साइंटिफिक शब्दों को बदला नहीं जाएगा। इससे स्टूडेंट्स को इंटरनेशनल लेवल की समझ भी मिलेगी और वो ग्लोबल नॉलेज से जुड़ाव बनाए रख सकेंगे।
प्रोजेक्ट का फायदा?
- अंग्रेजी से डर खत्म होगा, छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- देशभर में उच्च शिक्षा को local touch मिलेगा।
- ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के छात्र भी अब बड़े-बड़े कोर्स चुन सकेंगे।
- यूनिवर्सिटीज़ की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा।
भाषाई समानता का मिलेगा हक
यह पहल भारत की शिक्षा व्यवस्था को एक नए युग में प्रवेश करा रही है। यह सिर्फ अनुवाद नहीं, बल्कि छात्रों को भाषाई समानता का हक देने की दिशा में एक बड़ी क्रांति है। अब हर छात्र अपनी भाषा में डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजर या रिसर्चर बन सकता है।