Election Commission Of India: भारत दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र में से एक है। यहां की सरकार का चुनाव जनता करती है। पंचायत स्तर से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक का चुनाव जनता मतदान के जरिए करती है। इसलिए चुनावों को लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार भी माना जाता है। इस बेहद संवेदनशील और अहम जिम्मेदारी को पूरा करती है “भारतीय निर्वाचन आयोग”। आइए जानते हैं इस शक्तिशाली संस्था की ताकत और इसकी स्थापना के बारे में।
निर्वाचन आयोग क्या है?
भारत में चुनावों को संपन्न कराने वाली भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission Of India)या इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया एक संवैधानिक संस्था है। चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत देश में हर तरह के चुनावों को पूरा कराने के लिए जिम्मेदार है। देश में होने वाले लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव का पूरा प्रोसेस चुनाव आयोग ही कराता है।
कब हुई चचुनाव आयोग की स्थापना?
आजादी के बाद देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए तुरंत ही चुनाव आयोग की स्थापना कर ली गई थी। गणतंत्र लागू होने के एक दिन पहले यानी 25 जनवरी 1950 को भारतीय निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई। इसी दिन को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है।
चुनाव के लिए जिम्मेदार है निर्वाचन आयोग
देश में तय समय में चुनावों को संपन्न कराना चुनाव आयोग (Election Commission Of India)का काम है। चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और शांतिपूर्ण हो यह भी चुनाव आयोग की जिम्मेदारी होती है। इसके लिए चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता लागू करता है। आचार संहिता का पालन सभी राजनीतिक दल और राज्यों के एडमिनिस्ट्रेशन को करना होता है। देश में पहल बार 5वीं लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू किया गया था।
चुनाव आयोग के प्रमुख काम
- देश में लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव कराना
- चुनाव आयोग ही राजनीतिक दलों को मान्यता देता है।
- पार्टियों को चुनाव चिह्न देना भी चुनाव आयोग का काम है।
- राजनीतिक दलों के सभी मामलों और विवादों का निपटारा करना
- चुनावी निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन कराना।
- मतदाता सूची तैयार कर मतदाता पहचान पत्र (EPIC) जारी करना।
- मतदान के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
- वोटिंग और काउंटिंग के लिए दिन और जगह तय करना।
- वोटिंग और काउंटिंग सेंटर्स में सभी जरूरी व्यवस्था करना।
- चुनाव में खर्च की सीमा तय करना और खर्च पर नजर रखना।
चुनावों में होने वाले खर्च, भाषण और प्रचार पर नजर रखना।
- शिकायत मिलने पर चुनाव के दौरान जिला प्रशासन के अधिकारियों का तबादला भी चुनाव आयोग कर सकता है। ताकी निष्पक्ष चुना कराए जा सकें।
ECI की ताकत
चुनाव आयोग के ऊपर देश में चुनाव कराने जैसी अहम जिम्मेदारी होती है। इसलिए चुनाव आयोग को कई पॉवर भी दिए गए हैं। जो चुनावों में पारदर्शिता लाने में हेल्पफुल होती हैं-
- चुनाव आयोग चुनाव में कानूनों का पालन नहीं होने पर वैधानिक कार्रवाई कर सकती है।
- किसी तरह की गड़बड़ी होने पर आयोग मतदान रद्द भी कर सकता है। चुनाव आयोग
- मतदान से जुड़े प्रकाशन, जनमत या एग्जिट पोल पर रोक लगा सकता है।
चुनाव आयोग का प्रमुख कौन होता है?
चुनाव आयोग (Election Commission Of India) के गठन से 15 अक्टूबर 1989 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त ही चुनाव आयोग के प्रमुख होते थे। बाद में निर्वाचन आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 आने से एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त निर्वाचन आयोग का नेतृत्व करते हैं। चुनावों को पूरा कराने में चुनाव आयोग राज्य निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर काम करती है।
चुनाव आयुक्त का कार्यकाल
आपको बता दें राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त व निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति करते हैं। इन्हें 6 साल के लिए नियुक्त किया जाता है। अगर कार्यकाल पूरा होन से पहले इनकी उम्र 65 साल हो जाती है तो उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ता है। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त IAS रैंक के ऑफिसर होते हैं। इन्हें सुप्रीम कोर्ट जज के बराबर दर्जा, वेतन और सभी फैसिलिटीस मिलती है। मुख्य चुनाव आयुक्त को सिर्फ महाभियोग से ही पद से हटाया जा सकता है।