Chhattisgarh Language Specialty: छत्तीसगढ़, भारत के एक अद्भुत राज्य के रूप में, जनजातियों की बहुलता और भाषाई विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां 93 बोलियों का अस्तित्व है, जो इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं। इनमें सबसे प्रमुख छत्तीसगढ़ी भाषा है, जिसके बाद हल्बी का स्थान आता है।
भाषा परिवार और उनके स्वरूप
छत्तीसगढ़ की बोलियों को तीन प्रमुख भाषा परिवारों में वर्गीकृत किया गया है: आर्य, मुण्डा, और द्रविड़। हर भाषा परिवार अपने भीतर कई बोलियों का समावेश करता है, जो स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को परिभाषित करती हैं।
मुण्डा भाषा परिवार
इस परिवार में हो, तुरी, गदबा, और खड़िया जैसी बोलियां शामिल हैं। ये बोलियां आदिवासी समुदायों की पहचान और उनके जीवनशैली को दर्शाती हैं।
द्रविड़ भाषा परिवार
द्रविड़ भाषाएं जैसे दोरला, भुंजिया, और मुड़िया, छत्तीसगढ़ के दक्षिणी भाग में प्रचलित हैं। ये बोलियां इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को उजागर करती हैं।
आर्य भाषा परिवार
आर्य भाषाओं में मागधी, उड़िया, और हल्बी शामिल हैं। ये भाषाएं क्षेत्रीय और सामाजिक परिप्रेक्ष्य से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये स्थानीय संस्कृति में गहराई से जुड़ी हुई हैं।
छत्तीसगढ़ी का वर्गीकरण
छत्तीसगढ़ी भाषा के कई क्षेत्रीय स्वरूप हैं, जो इसे और भी समृद्ध बनाते हैं। इसके अलावा केंद्रीय छत्तीसगढ़ी की बात करें तो ये मानक हिंदी से प्रभावित है और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे रायपुरी और धमतरी।
- पश्चिमी छत्तीसगढ़ी- इस समूह में खल्टाही प्रमुख है, जिसमें बुंदेली और मराठी का प्रभाव देखा जा सकता है।
- उत्तरी छत्तीसगढ़ी- सरगुजिया इस समूह का प्रमुख स्वरूप है, जो बघेली और भोजपुरी के प्रभाव में है।
- पूर्वी छत्तीसगढ़ी- लारिया जैसे बोलियों के माध्यम से उड़िया भाषा का प्रभाव स्पष्ट है।
- दक्षिणी छत्तीसगढ़ी- इस समूह में हल्बी प्रमुख है, जिसमें मराठी और गोंड़ी का समावेश है।
शिक्षा में स्थानीय भाषाओं का समावेश
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 26 जनवरी, 2020 को की गई घोषणा ने स्थानीय भाषाओं की महत्वता को और बढ़ा दिया है। प्राथमिक स्कूलों में छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी जैसी भाषाओं में पढ़ाई की व्यवस्था से यह सुनिश्चित होगा कि नई पीढ़ी अपनी मातृभाषाओं और संस्कृति से जुड़ी रहे।
Positive सार
छत्तीसगढ़ की भाषाई विविधता न केवल इसकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह आदिवासी समुदायों की पहचान और उनके जीवन की कहानी भी सुनाती है। इस विविधता को संजोने और सहेजने के प्रयासों के माध्यम से हम इस अनमोल खजाने को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सकते हैं।