Ayodhya Sriram University में होंगे रामचरितमानस और रामायण पर रिसर्च, अयोध्या में बनेगा अंतरराष्ट्रीय श्रीराम विश्वविद्यालय!

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Ayodhya Sriram University: रामायण और रामचरित मानस भारत के सिर्फ धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि हमारी रिच और ऐतिहासिक धरोहर भी हैं। इसके प्रतिष्टा से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया परिचित है और यही वजह है कि आज इन धार्मिक धरोहरों पर पूरी दुनिया रिसर्च कर रही है। इसके अलावा भारत के कई बड़े संस्थान भी रामायण को पाठ्यक्रम से जोड़ रहे हैं जिनमें आईआईटी और आईआईएम जैस इंस्टीट्यूट भी शामिल हैं। ऐसे ही संस्थानों में अब भारत का Ayodhya Sriram University भी जाना जाएगा। जहां रामचरितमानस और रामायण पर महत्वपूर्ण शोध किए जाएंगे। हाल ही में उत्तप्रदेश के डेप्युटी सीएम ने इस Ayodhya Sriram University के बारे में घोषणा की है। 

अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तरप्रदेश को मिलेगी पहचान 

भगवान राम की नगरी अयोध्या को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए अयोध्या में Ayodhya Sriram University खोला जाएगा। इसके लिए कई प्राइवेट सेक्टर के इंस्टीट्यूट्स को भी आमंत्रित किया गया है। इस संस्थान में कई खास बातों पर रिसर्च होगा जैसे कि श्रीराम साहित्य क्यों महत्वपूर्ण है, रामचरितमानस व रामायण पर कितने शब्दों में सार लिखा गया है, कितनी भाषाओं में रामायण लिखी गई है, ऐसे विषयों पर Ayodhya Sriram University में शोध किया जाएगा। 

स्कूली शिक्षा में शामिल हो सकता है रामायण-महाभारत 

नई एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) के आने के बाद स्कूली शिक्षा से लेकर हायर एजुकेशन तक कई बदलाव तेजी से किए जा रहे हैं। इन बदलावों में इस बात को शामिल किया जा रहा है कि कैसे शिक्षा में भारतीय धार्मिक ग्रंथों को जोड़ा जाए। इन्हीं सब बातों के इंपॉर्टेंस को देखते हुए NCERT अब अपने सिलेबस में बड़ा बदलाव करने जा रहा है जिसके मुताबिक नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानी NCERT के स्पेशल पैनल ने स्कूलों में महाभारत और रामायण महाकाव्य को शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। इसके साथ ही संविधान की प्रस्तावना को स्कूलों के दीवारों पर लिखने की बात भी हो रही है। 

Positive सार 

रामायण हर भारतीय के लिए सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि जीवन का सार है। हमारे नैतिक मूल्य, समाज को आगे लेकर बढ़ने की कला, शिक्षा, धर्म और मानवता के सीख सिखाती एक लिटरेचर भी है। ऐसे में जरूरी है कि आने वाली पीढ़ी को इसकी महिमा का ज्ञान जरूर हो। यही वजह है कि स्कूल और कॉलेज में ऐसे पाठ्यक्रम की शुरूआत करना एक पॉजिटिव अप्रोच हो सकती है जिसकी हमारी आने वाले पीढ़ी को जरूरत है।

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Rishita Diwan

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