Brahmaputra and Son Rivers: देवी नहीं देवता हैं ये नदियां!

Brahmaputra and Son Rivers: भारत में कई पवित्र नदियां बहती हैं और यहां रहने वाले लोग नदियों को देवी, मां या मैया कहकर पुकारते हैं। जैसा की आप जानते हैं नदियों की किसी ना किसी रूप में पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है हमारे देश में दो ऐसी भी नदियां हैं जिन्हें देवी नहीं बल्की देवता का रूप माना जाता है। इनमें से एक नदी छत्तीसगढ़ में भी बहती है। आइए जानते हैं कौन सी हैं वो दो पुरुष नदियां (male rivers)।

ब्रह्मपुत्र है पुरुष नदी

जी हां ब्रम्हपुत्र (Brahmaputra River)नदी एक पुरुष नदी (male rivers)है। आपको बता दें हिंदू धर्म में ब्रह्मपुत्र को भगवान ब्रह्मा का पुत्र माना जाता है। पुराणों के अनुसार ब्रह्मपुत्र का जन्म ब्रह्मा और अमोघ ऋषि के पुत्र के रूप में हुआ था। देव पुत्र होने के कारण इसे पूजनीय माना जाता है। इस नदी को हिंदू, जैन और बौद्ध तीनों धर्मों में महत्व दिया जाता है।

बौद्ध धर्म से ब्रह्मपुत्र का संबंध 

बौद्ध धर्म में (Brahmaputra River) ब्रह्मपुत्र नदी का खास स्थान है। माना जाता है कि यह नदी पहले एक विशाल झील हुआ करती थी। बाद में एक बोधिसत्व ने हिमालय के तराई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की पानी की जरूरत को देखते हुए झील से पानी का बहाव बनाया। उसी बहाव से ब्रह्मपुत्र नदी की उत्पत्ति हुई।

ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम और प्रवाह 

ब्रह्मपुत्र नदी सिर्फ भारत में नहीं बहती, बल्कि इसका उद्गम तिब्बत के पुरंग जिले में के मानसरोवर झील के पास होता है। तिब्बत में इसे “सांगपो” कहा जाता है। यह नदी तिब्बत से निकलकर भारत में अरुणाचल प्रदेश, असम से होती हुई बांग्लादेश तक जाती है। भारत में इसकी लंबाई लगभग 2700 किलोमीटर है। इसे भारत की सबसे लंबी नदियों में से एक माना जाता है।

सोन नदी भी है पुरुष नदी

सोन नदी (son river)वो नदी है जिसे दूसरी पुरुष नदी जाना जाता है। इसे सोनभद्र भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोनभद्र को ब्रह्मपुत्र का पुत्र माना जाता है। सोन नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकली है और उत्तर प्रदेश, झारखंड होते हुए बिहार के पटना जिले में गंगा से मिलती है। यह नदी विशेष रूप से मानसून के मौसम में अपनी तेज धारा के लिए जानी जाती है।

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अद्भुत है सोन नदी

सोन नदी (son river) का नाम इसके सुनहरे रेत के कारण पड़ा है। जब सूर्य रोशनी पड़ती है तो नदी की रेत सोने की तरह चमकती है। इस रेत का उपयोग कंस्ट्रक्शन वर्क में बड़े पैमाने पर किया जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इस नदी का प्राचीन नाम “सोहन” था। बाद में समय के साथ “सोन” में बदल गया। रामायण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी इस नदी का उल्लेख मिलता है।

Note- यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पुराणों में दिए गए उल्लेखों के आधार पर दी गई है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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