रेडियो एक दोस्त

मुझे आज भी याद है कि स्कूल, कॉलेज के समय सुबह की शुरुआत ही रेडियो के बटन को ऑन करने से होती थी। मानो आप सुन रहे हैं “चित्रलोक” ये वाक्य अलार्म हो। कोई भी सुबह बिना रेडियो के ज़हन में याद ही नहीं।
रात को “छाया गीत”, आपकी फरमाईश, हवा महल, बिनाका माला सब अपने नियत समय पर आते थे। जैसे दोस्त अलग-अलग टॉपिक पर बात करते हैं।
तब से अब तक की तकनीकी छलाँग सभी को दिखाई देती है। इंटरनेट ने दुनिया को समेट दिया है। लेकिन रेडियो अभी भी दिल के क़रीब है। इसकी विशेषता यही है कि सिर्फ शब्दों को माध्यम से भावनाओं को अभिव्यक्त कर उसे दिल की गहराईयों में पहुंचाना सिर्फ रोडियो ही कर सकता है।
हर व्यक्ति अपने आप में अनोखा और अलग है। एक ही भाव को सुनने और समझने की कला सबकी भिन्न है। किसी बात के भाव को या गीत के भाव को कोई कैसे महसूस करेगा ये निर्भर करता है उसके मूड, उसके परिवेश, उसके सपने और उसके भावनात्मक जुड़ाव पर। कमाल की बात तो ये है, एक रेडियो कितने दिलों को खुशी को दोगुना करने और आंसुओं में संबल देने का काम करता है। रेडियो एक दोस्त की तरह हमारे हर मूड में हमारे साथ होता है। जब ट्रैफिक में फंसे तो टाइम पास कर दोस्त बन जाता है, जब खुशी की बात हो तो साथ मस्ती करने वाला दोस्त, हर किरदार को चुपचाप कितनी खूबसूरती से निभाता है रेडियो।
जबकि हम अपना समय पूरी तरह उसको नहीं देते। शायद ही कभी रेडियो सुनते वक्त हमने कोई काम ना किया हो। हर वक्त रेडियो जैसे हमारी परछाई की तरह साथ है। और हम अपना काम भी कर रहे होते हैं। बिना किसी रुकावट, हस्तक्षेप के वो हमारे साथ रहता है।
रेडियो सिर्फ संचार का माध्यम नहीं है। वो एक ऐसा विश्वसनीय दोस्त है जो हमेशा हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहेगा। आज रेडियो और उसके कार्यक्रमों की रूपरेखा में काफी बदलाव आया है। आज के इस इंटरनेट के दौर में रेडियो को हमने नजरअंदाज किया हो लेकिन वो कभी ना कभी, कहीं न कहीं हमारे साथ ही हैं।
आज रेडियो डे पर अपने इस सदाबहार दोस्त को धन्यवाद देते हैं।
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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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