नयी शुरुआत

बीत रहे 2020 ने कई नये शब्द हमारे जीवन की शब्दावली में जोड़े और कई व्यक्तित्व के पहलुओं पर से परतें साफ़ की है। कभी लगता है कि बीते 10 महीनों में हम सबने अपने आप को फिर से बनाया, तो कभी लगता है कि हम तो ये पहले से ही थे सिर्फ पहचाना अब है। मानव बुद्धि की शक्ति को, भावनाओं की कोमलता को, और हर हाल में साहस के साथ डटे रहने की क्षमता को, नई शुरुआत की ऊर्जा को । माना कि 2020 बहुत कुछ ले गया, लेकिन  सबक भी बहुत सीखा गया। 

क्योंकि आज जब पलट कर देखते हैं तो हम अपनी सेहत को लेकर बहुत जागरूक हो गये हैं। रोज़गार के नये आयाम खुले हैं। शिक्षा का नवीनीकरण, तकनीक का रोज़मर्रा के जीवन से जुड़ना, जो सहज रूप से शायद 10 वर्षो में भी नहीं हो पाता।

ऐसा लगता है कि एक नई सभ्यता की शुरुआत हुई है, जन्म जब भी होता है ,सवाल हमेशा उसके निरंतर विकास का भी होता है।

2021 के आगमन पर हमें भी यही प्रण लेना हैं कि हम फिर से शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप से जन्म ले चुके हैं । अब बस इसे विकसित करते रहना है। जो कुछ सीखा है, जाना है, और जो ज़रूरी है, अपने अस्तित्व को ना सिर्फ बचाने के लिये बल्कि उसे लगातार निखारने के लिये भी, वही करते रहना है।

इतिहास के निर्माण में गैर मानवीय शक्तियों की भी भूमिका रही है। प्राचीन रोम पर विजय पाना इसीलिए मुश्किल था क्योंकि दलदली क्षेत्र इसकी हिफाज़त करता था। रोमन लोग सोचते थे कि वहाँ घातक धुंए के कारण लोग बुखार के शिकार हो रहें है। इसीलिए गंदी हवा से मलेरिया शब्द बना। ईसा पूर्व 218 में ” हैनिबल” ने रोम पर हमला किया लेकिन मलेरिया के कारण वो जीत नहीं पाया और रोमन साम्राज्य बच पाया।

कई बार कई विपदा सब कुछ ख़त्म ना हो जाए, यह समझने के लिए भी आते है। इस आधुनिक युग में हम तकनीक की मदद से लंबी-लंबी छलांगें आसमानों में लगा रहे थे और शायद कहीं न कहीं अपनी ज़मीन, ज़मीर और नैतिक ज़िम्मेदारियों को ढीला छोड़ते जा रहे थे।

यहाँ अंधविश्वास या किसी साजिश की बात नहीं हो रही है। लेकिन यह सबक ज़रूर है। जब मार्च 2020 में हमारे देश में कोरोना का प्रकोप धीमा था, तब भी हम नागरिकों ने अपनी-अपनी नैतिक ज़िम्मेदारियों को निभाने में ढिलाई की, जिसकी वजह से हालत बदतर भी हुए।

हालांकि मुश्किल वक़्त में मानवता की मिसाल तक कायम की गई, लेकिन क्या समय रहते जागरूक होना ज़रूरी नहीं था?

जो बीता यक़ीनन बहुत भयावह था, लेकिन जो सीखा, उसे ना भूलना ही अब सर्वोपरि होना चाहिए।

नये साल में नयी उम्मीद, नये संकल्पों, नई ऊर्जा और अपने आप के नये स्वरुप को और निखारने के लिए प्रणबद्ध होना है। जीवन की ओर नए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ।

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Rishita Diwan

Content Writer

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