नारी, एक ऐसी शख्स है जिसे अनगिनत तरीके से अभिव्यक्त किया गया है। हो भी क्यों ना? नारी अपने जीवन में अनगिनत किरदार निभाती है। नारी के व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति का सबका अपना पक्ष और तर्क है। एक संतान की अभिव्यक्ति अपनी मां के लिए भिन्न है, तो एक बेटी, पत्नी, दोस्त, बहन के लिए अलग है। लेकिन इस तरह की अभिव्यक्ति पुरुषों के लिए देखने को नहीं मिलती है। सनातन समय से नारी को देवीतुल्य माना गया, जो कि सम्मान की बात है। लेकिन धीर-धीरे इन तुलनाओं और अभिव्यक्तियों ने अनजाने में ही नारी के लिए मापदंड तय कर दिए। न चाहते हुए भी हर नारी के ज़हन में ये मापदंड इस क़दर घर कर गए, कि- अगर वो इन मापदंडों से थोड़ा भी हटकर व्यवहार करती हैं तो आत्मग्लानी का शिकार होती हैं। अपनी बाहरी वातावरण के अनुरूप आज की आधुनिक नारी ने सामंजस्य बैठा लिया है, लेकिन अपने अंदर की नारी को उन मापदंडों के परे देखना अभी बाकी है।
प्रकृति ने ही नारी को कोमल मन और दृढ़ मनोबल दिया है, लेकिन वो एक इंसान भी है। हर किरदार के पहले वो एक आम इंसान है। जिसकी अपनी कमजोरियां और ताकत है। जिन्हें वो नज़रअंदाज करती हैं। आम उदाहरण है, अलग घर में बच्चा बीमार हैं और ऑफिस में इंपॉर्टेंट मीटिंग में जाना जरूरी है। तो वो आत्मग्लानी महसूस करती है। ऐसे अनगिनत उदाहरण हर नारी के जीवन में देखे जा सकते हैं। ये इसलिए भी होता है क्योंकि हर मां के लिए सदियों से तय मापदंड हैं।
जरूरत आत्मग्लानी से भरने की नहीं, न ही अपनी किसी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने की है, न ही अपनी भावनाओं को रोकने की है।
जरूरत है, हर नारी को अपने आप को जैसी वो है उसे स्वीकारने की। किसी भी नारी को समाज या परिवार से अच्छी मां, पत्नी, बहन या बेटी होने का सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है।
कमाल की बात तो ये भी है कि शायद ही कोई परिवार का सदस्य इस तरह सोचता हो।
इस महिला दिवस अपने अंदर के आम इंसान को बाहर निकालने का प्रयास करें। और अपने जीवन में सुकून के पल भरें।
Happy Women’s Day