सुशासन दिवस 2024: वो भारत जो अटल रहेगा!

हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ

गीत नया गाता हूँ

ये कविता वैसे ही अमर है जैसे पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के जननायक अटल बिहारी वाजपेयी जी। आज जब पूरा देश उनकी याद में 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मना रहा है तो मुझे भी इस बात की संतुष्टि हो चली है कि पिछले 1 दशक में वाकई हम भारतीयों ने ये जाना कि सुशासन क्या होता है। गुड गवर्नेंस की बात अब सिर्फ आम आदमी के ज़हन में नहीं है बल्कि धरातल से उसका नाता हो चला है। अटल जी ने जिस राजनीतिक दूरदर्शिता और नीतियों की नींव रखी थी उसे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार कर दिखाया है। भारत को एक सशक्त, समृद्ध और विकसित राष्ट्र बनाने के अटल जी के सपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में पूरा किया जा रहा है। “आत्मनिर्भर भारत” और “सुविधाओं का लोकतंत्रीकरण” जैसी योजनाएँ देश के नागरिकों को उनके अधिकारों का एहसास दिला रही हैं। राज्य सरकारें, विशेषकर छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं रहा है। कभी लाल आतंक से आतंकित छत्तीसगढ़ का दक्षिणी छोर अब खुली हवा में सांस ले रहा है। बस्तर में जहां लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसते थे आज उनकी बात आमने-सामने सुनी जा रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी का बस्तर दौरा जहां आदिवासियों ने खुलकर अपनी बात उनके सामने रखी। नियद नेल्लानार जैसी योजना से आज सुदूर बस्तर के आदिवासी हर तरह की सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।

राज्य के उत्तर से लेकर दक्षिण तक हवाई यात्रा का विस्तार ये दिखलाता है कि कैसे डबल इंजन की सरकार विकास के हर द्वार खोल रही है। सरकारी नौकरी के लिए परीक्षाओं में पारदर्शिता, महिलाओं को आर्थिक सहायता, पर्यटन और रोजगार के क्षेत्र में विकास दिखाई देता है।

राज्य सरकार की सहकारी समितियों और जनसंपर्क विभाग के माध्यम से कृषि, महिला सशक्तिकरण और रोजगार को बढ़ावा देना। छत्तीसगढ़ के लिए “धान खरीदी” योजना और FCI की भूमिका को सुव्यवस्थित करना। ये सब सुशासन ही तो है।

मैं ऐसा नहीं कहूंगी कि सबकुछ सही हो रहा है लेकिन हम सही राह पर है इस बात में कोई दोराय नहीं। बेशक हमारे सामने कई चुनौतियाँ हैं। लेकिन अटल जी हमेशा मुझे प्रेरित करते हैं। मुझे लगता है हर किसी को अटलजी प्रेरित करते होंगे। नागरिक के तौर पर आम लोगों को। राजनीति के तौर पर राजनेताओं को, व्यवासाय के तौर पर व्यवसायी को क्योंकि अटल किसी एक के नेता नहीं थे वो देश के नेता थे।

उनकी कही 4 लाइनों के साथ मैं अपनी बात को खत्म करती हूं जो मुझे निजी तौर पर भी प्रेरित करती है, “हम केवल अपने लिए न जीएं, औरों के लिए भी जीएं… हम राष्ट्र के लिए अधिकाधिक त्याग करें।” ये विचार हमारे शासन तंत्र के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है, जिससे हम अपने देश के नागरिकों को उनके अधिकार दिलाने और उनकी बेहतरी के लिए काम करने को प्रेरित होंगे। 25 दिसंबर 2024 को सुशासन दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएं।

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Dr. Kirti Sisodia

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