केंद्रीय बैंक ने क्रेडिट कार्ड (Credit Card) को लेकर नए नियम जारी किए हैं। जिससे यूजर्स के कर्ज का बोझ कम होगा। दरअसल क्रेंद्रीय बैंक ने बैंकों और कार्ड जारी करने वालों को निर्देश देते हुए कहा है कि न्यूनतम बकाया राशि (minimum amount due) को इस तरह से कैलकुलेट किया जाना चाहिए कि निगेटिव लोन परिशोधन नही हो।
आरबीआई ने अपने एक मास्टर निर्देश में यह भी कहा है कि अनपेड चार्जेस, लेवी और टैक्स को ब्याज के लिए कंपाउंड नहीं होना चाहिए। रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) की तरफ से इस नियम को 1 अक्टूबर 2022 से लागू करने के
निर्देश दिए गए थे।
आसान भाषा में समझते हैं क्या कहता है नियम
आरबीआई के इस नियम को आसानी भाषा में समझें तो बैंकों और कार्ड जारी करने वालों को न्यूनतम बकाया राशि को इतना तय करने की जरूरत होगी कि कुल बकाया राशि को एक उचित समय के दौरान चुकाया जाए। इसके अलावा, बकाया राशि पर लगने वाले चार्ज, पेनाल्टी और टैक्सेस को आगामी स्टेटमेंट में कैपिटलाइज नहीं होगा। यानी कि एक बार बकाया राशि का भुगतान कर देनें पर बाकी के चार्ज नहीं देने होंगे।
क्रेडिट कार्ड का नया नियम
क्रेडिट कार्ड के नए नियम के अनुसार अगर आप मिनिमम अमाउंट का भुगतान करते हैं तो बाकी की बची हुई राशि और आगामी ट्रांजैक्शन पर तब तक ब्याज नहीं लगेगा, जब तक कि पिछले अमाउंट का भुगतान नहीं हो जाता है।
इस नए नियम को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आप मिनिमम अमाउंट का भुगतान हर महीने करते हैं तो तो ब्याज पर ब्याज हर माह लगाया जा सकेगा। ऐसे में यह हो सकता है कि अधिक ब्याज होने के कारण आने वाले महीनों में ब्याज की राशि मिनिमम अकाउंट से भी ज्यादा हो। वहीं अगर कार्ड जारीकर्ता यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्यूनतम भुगतान बकाया राशि पर अर्जित ब्याज को भरता है साथ ही साथ इसमें योगदान भी देता है। तो न्यूनतम भुगतान, 5 प्रतिशत के बजाय बकाया का 10 प्रतिशत अधिक न्यूनतम शेष राशि चार्ज होगा।