

हाल के दिनों भारत ने विकास की नई परिभाषा लिखी है। 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से लेकर अंतरिक्ष विज्ञान तक विकास के कई मापदंडों को हमारे देश में पूरा किया गया है। अब इंडियन स्पेस एसोसिएशन और अर्नस्ट एंड यंग रिपोर्ट में भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधानों को लेकर यह कहा गया है, कि आने वाले तीन सालों में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का 1,280 करोड़ डॉलर यानी करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। इसमें बड़ी संख्या में उपग्रहों के प्रक्षेपण और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इंडियन स्पेस एसोसिएशन और अर्नस्ट एंड यंग ने अपनी रिपोर्ट में ‘भारत में अंतरिक्ष के लिए अनुकूल वातावरण : भारत में समावेशी प्रगति’ यह दावा किया है।
900 करोड़ डॉलर थी 2020 में भारत की भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था
साल 2020 में भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का 900 करोड़ डॉलर थी। रिपोर्ट के मुताबिक, उपग्रहों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में इनके निर्माण में ग्रोथ आने वाली है। साथ ही वैश्विक कंपनियां व स्टार्ट-अप्स भी भारत की तरफ आकर्षित होंगे, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करना चाह रही कंपनियों को काफी मदद मिल सकेगी।
अंतरिक्ष के कोर-क्षेत्रों में भारतीय कारोबार
उपग्रह सेवाएं 460 करोड़ डॉलर
400 करोड़ डॉलर, धरती से दी जानी वाली सेवाएं
320 करोड़ डॉलर उपग्रह निर्माण में
100 करोड़ डॉलर प्रक्षेपण सेवाओं के लिए
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत से अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने के लिए सरकार के उठाए कदम मददगार साबित हो रहे हैं। प्राइवेट कंपनियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां इस बात को भी याद रखना होगा कि इस समय भारत में करीब 100 स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में काम कर रहे हैं।