डिसीजन मेकिंग आपको मजबूत इंसान बनाती है। इसका असर हमारी पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों में पड़ता है। निर्णय लेने के गुणों से ही हम बेहतर इंसान बनते हैं। चुनौतियों के लिए तैयार होते हैं। लेकिन कई लोग सही डिसीजन लेने की प्रोसेस, और डिसीजन लेने में होने वाले गलतियों पर एनालिसिस नहीं कर पाते हैं। जानते हैं कैसे डिसीजन मेकिंग आपको एक सकारात्मक रुख देती है।
1) हर दिन हम छोटे-बड़े निर्णय लेते हैं, जैसे हम जीवन में रोज छोटे से लेकर बड़े डिसीजन करते हैं। या फिर आज सुबह एक्सरसाइज करें या न करें, कौन से कलर और डिजाइन के कपड़े खरीद सकते हैं, कौन सा जॉब जॉइन करें या नहीं, किसे अपना जीवनसाथी बनाएं या कहां रहें और बसें इत्यादि। इन सभी बातों को धैर्य में रहकर हम निर्णय ले सकते हैं।
2) डिसीजन मेकिंग हमें अपने पूर्वाग्रहों, तर्क, उपलब्ध जानकारी, इमोशंस और यादों से प्रभावित होने के प्रोसेस से गुजारते हैं, कुलमिलाकर इसमें हम सबकुछ अनुभव कर सकते हैं।
3) हमारे डिसीजन्स से हम अपने तय रिजल्ट के साथ लौटकर आते हैं। उदाहरण के लिए सुबह उठ कर (या दिन में) एक्सरसाइज नहीं करने से हमें पता है क्या होगा फिर भी हम अनेकों बार गलत डिसीजन लेते ही हैं। लेकिन इनसे हम सीखते भी हैं। जैसे सही डिसीजन उत्साहित करते हैं और बुरे अनुभव देते हैं।
सही डिसीजन के क्या हैं पावर रूल?
1) निर्णय लेते समय अपने मन की आवाज सुनें, जब आप ऐसा करते हैं तो आप लॉन्ग-टर्म के लिए संतुष्ट होते हैं।
2) अपने अंदर से उठी आवाज का करें विश्लेषण।
3) उपलब्ध जानकारियों को टटोलें फिर किसी निर्णय पर पहुंचे।
4) निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें।
5) अपने निर्णय के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें। आत्मविश्वास के साथ अपने फैसले खुद हीं लें।