World Migration Report 2024: हाल ही में वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2022 जारी किया गया है। इसमें बताया गया है कि प्रवासी भारतीयों ने 111.22 बिलियन डॉलर यानी करीब 9.28 लाख करोड़ रुपए भारत भेजे हैं। यही नहीं इसके बाद भारत 100 बिलियन डॉलर यानी कि 8.34 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रेमिटेंस पाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। जानते है क्या होता है रेमिटेंस और इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) की 2024 की रिपोर्ट और क्या कहती है।
क्या है रमिटेंस?
जब कोई माइग्रेंट अपने मूल देश में पैसे भेजते हैं तो ये रेमिटेंस कहलाता है। फॉरेन करेंसी हासिल करने का ये एक जरिया है। बता दें कि रेमिटेंस निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए डेमोस्टिक इनकम का एक अहम सोर्स होता है। भारत में रेमिटेंस सबसे ज्यादा खाड़ी देशों में बसे भारतीयों से आता है। यही नहीं अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे डेवलप कंट्रीज से भी भारत का काफी रेमिटेंस मिलता है।
क्या कहती है World Migration Report 2024?
World Migration Report 2024 की IOM लिस्ट में भारत पहले नंबर पर है। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर मैक्सिको है। मैक्सिको 2021 में भी दूसरा सबसे ज्यादा रेमिटेंस पाने वाली कंट्री बनी थी। 2021 में मैक्सिको ने चीन को पीछे किया था। मैक्सिको को 2022 में 5.1 लाख करोड़ रुपए का रेमिटेंस हासिल हुआ था। लिस्ट में इस बार तीसरे नंबर पर चीन, चौथे नंबर पर फिलीपींस और पांचवें नंबर पर फ्रांस मौजूद है।
साउथ एशिया टॉप-10 रेमिटेंस पाने वाले देश
अगर साल 2010 से पहले की बात करें तो भारत में 53.48 बिलियन डॉलर, 2015 में 68.91 बिलियन डॉलर और 2020 में 83.15 बिलियन डॉलर रेमिटेंस मिल पाया था। साउथ एशिया के तीन देश-भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश World Migration Report 2024 की लिस्ट में टॉप-10 रेमिटेंस पाने वाले देशों में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं। ये लेबर माइग्रेशन को हाइलाइट कर रहा है।
किन क्षेत्रों में काम करते हैं माइग्रेंट?
खाड़ी देश प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रमुख डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित है। खास तौर पर भारत, बांग्लादेश, मिस्र, इथियोपिया, केन्या के मजदूर खाड़ी देशों में काम की तलाश में पहुंचते हैं। ये लेबर मैन्युफैक्चरिंग, हॉस्पिटैलिटी, सिक्योरिटी और घरेलू कामों के लिए देश छोड़ते हैं।
भारत में सबसे ज्यादा
दुनियाभर में भारत सबसे ज्यादा संख्या में प्रवासी श्रमिक दूसरे देश जाते हैं। बड़ी संख्या में प्रवासी संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों में रहना पसंद करते हैं।
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अर्थव्यवस्था को पहुंचता है फायदा
भारतीय अर्थव्यवस्था में रेमिटेंस अहम भूमिका निभाता है। दरअसल चालू खाता का घाटा देश के भीतर आने वाली विदेशी मुद्रा और देश से बाहर जाने वाली विदेशी मुद्रा के डिफरेंस को दिखाता है। ऐसे में जब अप्रवासी भारतीय रेमिटेंस के रूप में विदेशी मुद्रा नहीं भेजेंगे तो चालू घाटा बढ़ जाएगा। भारत के लिए ये अच्छी बात है कि भारत में रेमिटेंस के रूप में भारत अभी पहले नंबर पर है।