Global navigation satellite system: देश में अब नए टोल टैक्स की वसूली सैटेलाइट नैविगेशन सिस्टम से होगी। यह नया सिस्टम GPS के आधार पर काम करेगा। अब टोल के लिए टोल नाकों पर रुकने की जरूत नहीं पड़ेगी। यह नया सिस्टम सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया है।
क्या है नया टोल सिस्टम?
नया टोल सिस्टम सीधे सैटेलाइट के जरिए काम करेगा। इस सिस्टम को GNSS कहा जाता है। अब टोल GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम से कटेगा। इस नए सिस्टम के बाद टोल नाकों पर बिना रुके टोल टैक्स कट जाएगा। सैटेलाइट सीधा गाड़ियों की लोकेशन ट्रैस करके दूरी कैल्कुलेट करेगा और टैक्स वसूल लेगा। (global navigation satellite system)
कैसे काम करेगा यह सिस्ट्म?
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को शुरु करने के लिए गाड़ियों में एक डिवाइस लगाई जाएगी। इस डिवाइस को ऑन-बोर्ड यूनिट यानी OBU कहा जाता है। फास्टैग की तरह यह डिवाइस भी आपके बैंक खाते से लिंक्ड होगी। गाड़ियों की तय की गई दूरी को OBU ट्रैक करेगा और अकाउंट से टोल कट हो जाएगा। यह डिवाइस आपको गर्वमेंट के पोर्टल पर उपलब्ध करा दी जाएगी।
20 किमी तक नहीं लगेगा टैक्स
नए सैटेलाइट सिस्टम में अगर किसी गाड़ी ने 20 किलोमीटर तक की दूरी तय की है तो किसी तरह की टोल वसूली नहीं होगी। लेकिन अगर 20 किलोमीटर से ज्यादा दूरी होती है तब टोल देना होगा। ऐसे में टोल का कैल्कुलेशन टोटल तय की गई दूरी के हिसाब से दिया जाएगा। जैसी ही गाड़ी हाईवे, एक्सप्रेसवे, टनल या ब्रिज पर से गुजरेगी, वहां से दूरी काउंट होनी शुरु हो जाएगी।
GNSS के लिए होगा अलग लेन
जिन गाड़ियों में GNSS से टोल टैक्स कटना है उनके लिए अलग लेन बनाई जाएगी। GPS वाली गाड़ियां इस लेन से गुजरेंगी और उनका टोल ऑटोमैटिक कट जाएगा। लेकिन अगर बिना GPS वाली गाड़ियां इस लेन से गुजरती हैं तो उन्हें टोल नाके पर रोका जाएगा और दोगुना टोल वसूली होगी।
सक्सेसफुल हुआ ट्रायल
नए सिस्टम की पहले सफलतापूर्वक टेस्टिंग की गई है। इसका ट्रायल रन NH-275, बैंगलुरु-मैसूर हाईवे और NH-709, पानीपत-हिसार हाईवे पर किया जा चुका है। इन दो रूट्स पर GNSS के लिए रूट बनाकर ट्रायल रन कराया गया। टेस्टिंग में यह सिस्टम पूरी तरह खरा उतरा। जिसके बाद इसे पूरे देश में लागू किया गया।
Positive Takeaway
देश में लागू किया जा रहा GNSS सिस्टम टोल टैक्स को और भी सुविधाजनक बना देगा। यह हाईटेक टोल सिस्टम देश के टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में होते विकास का भी प्रतीक है। मौजूद फास्टैग सिस्टम को फिलहाल जारी रखा जाएगा। साथ ही कैश टोल पेमेंट और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन से भी टैक्स वसूली जारी रहेगी। इसलिए घरबाने की जरूरत नहीं है। धीरे-धीरे GNSS सिस्टम को पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा।