बिजनेस मैनेजमेंट एक कला है। जिसे इंसान अनुभवों के आधार पर सीखता है। कभी-कभी इंसानी तौर पर गलतियां भी होती है। कई बार हम परिस्थितियों से परिचित भी नहीं होते और डर जाते हैं। बिजनेस के रिस्क फैक्टर्स भी डर की वजह होते हैं और डर से भी हम गलती कर बैठते हैं। गलतियां न हों, यह संभव नहीं है। लेकिन हम गलती करने से बच जरूर सकते हैं। जानें गलतियों से बचने के लिए क्या हो सकते हैं आपके स्मॉल एफर्ट्स करें…
गलती हो जाए तो हार न मानें
अक्सर ऐसा मान लिया जाता है कि एक लीडर हमेशा बुद्धिमान और निडर होता है। किसी भी दूसरी भावना की तरह डर के भी विकासवादी पहलू और लाभ होते हैं। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में गलती से बचने की हमेशा चिंता रहेगी। ऐसी परिस्थितियों में एक सतर्क लीडर की अहमियत बड़ी होती है। गलतियां करने से बिल्कुल भी नहीं डरें, न ही गलतियों की वजह से खुद को नाकाबिल लीडर मानें। गलतियां होने पर उन्हें सुधारने के रास्ते देखें न कि हार मन कर बैठ जाएं
अपने भावनात्मक कौशल पर काम करें
गलतियां करने का डर लोगों को मौके नहीं देता। दायरा को सीमित कर देता है। इससे बचने के लिए ‘इमोशनल एजिलिटी’ की हेल्प लें। इसमें आपके विचार और भावनाओं को लेबल मिलेगा। डर को बोलकर खत्म किया जाता है तो सच को स्वीकार करें। अपने मूल्यों को लेकर भटके नहीं। किस स्थिति में कौन-से मूल्य काम आएंगे, यह जरूर देखें।
समस्या बारे में विचार करें, उन्हें पहचानने की कोशिश करें
चिंता कई बार बेहतर निर्णय लेने में हेल्प करती हैं, लेकिन ये सोल्यूशन-फोकस्ड होनी चाहिए। ऐसी चिंता से असफल होने की संभावना कम हो जाती है। हम व्यवस्था नियंत्रित कर सकते हैं, नतीजों को नहीं। गलतियां न हों इसके लिए क्या व्यवस्था करें? अपनी चिंता को ऐसे प्रश्नों के दम पर दिशा देने की कोशिश केरें। समस्या को पहचानें और तुरंत सतर्क हो जाएं और उन्हें सुधारने की कोशिश पर काम करें।
सोच का दायरा बढ़ाएं
जब आप गलती करने से डरते हैं तो आपकी सोच एक परिदृश्य पर पर सिमट जाती है। तो बेहतर होगा कि आप अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं। अपने डर को नया दृष्टिकोण देने पर काम करें।