Startup: हम में से लगभग हर किसी को स्ट्रीट फूड पसंद होते हैं। भारत में तो कई ऐसी जगहें हैं जो सिर्फ स्ट्रीट फूड के नाम से ही फेमस हैं। जैसे दिल्ली की पराठे वाली गली, इंदौर का पोहा, मुंबई का वड़ापाव या फिर बिहार का लिट्टी चोखा ही क्यों न हो। लेकिन क्या स्ट्रीट पर दुकान लगाने वाले ये स्ट्रीट वेंडर्स अपने प्रोडक्ट का उतना मुनाफा कमा पाते हैं। ऐसे ही स्ट्रीट वेंडर्स के स्मॉल बिजनेस को ज्यादा विस्तार देने के लिए एक युवा ने बीड़ा उठाया है। इनका नाम है माणिक सहगल जो हाल में ही शार्क टैंक इंडिया शो में नजर आए। माणिक रासा के फाउंडर है जो स्ट्रीट फूड को लोकप्रिय बनाने, उनकी बिक्री बढ़ाने और स्ट्रीट फूड को लोगों के घर तक डिलीवर करने का काम करता है।
कैसे काम करता है रासा (Raasa) ?
दरअसल स्ट्रीट फूड बिजनेस करने वालों का अपना कोई बड़ा ब्रांड नहीं होता है। रासा (Raasa) उन्हें प्रॉपर ब्रांड देकर उनके कारोबार को बड़ा करने में मदद कर रहा है। फूड सेफ्टी एंड सिक्योरिटी के हिसाब से जरूरी एफएसएसएआई लाइसेंस दिलाने में भी रासा (Raasa) स्ट्रीट वेंडर्स की मदद करता है। रासा ऐसे कामों के लिए कोई फीस नहीं लेता है। इसके साथ ही जोमैटो या स्विगी जैसे फूड एग्रीगेटर पर कैसे ऑनबोर्ड आना है, इसकी जानकारी भी रासा (Raasa) स्ट्रीट वेंटर्स को देता है। जिससे उन्हें कारोबार बढ़ाने में मदद मिलती है। यही नहीं रासा (Raasa) ने इन स्ट्रीट फूड वेंडर्स को इनकी दुकान पर ग्रॉसरी उपलब्ध कराने की भी पहल की है। इसके अलावा ये जोमैटो या स्विगी पर इन्हें कैटलॉग बनाने, मेन्यू डिसाइड करने, मेनू का रेट तय करने, उसकी फोटो खींचने जैसे कामों को भी सिखाता है।
स्ट्रीट वेंडर्स को ब्रांड बनाना है उद्देश्य
रासा (Raasa) का उद्देश्य है कि स्ट्रीट फूड वेंडर को अच्छे से ब्रांड कर, ट्रेंड कर उनको कारोबार को बढ़ाया जाए। भारत में स्ट्रीट फूड वेंडर्स का कारोबार 3.5 लाख करोड़ रुपए का है। रासा (Raasa) यह चाहती है कि इनको असंगठित क्षेत्र से संगठित क्षेत्र में लाकर एक बड़ा बिजनेस तैयार किया जाए, जिससे इनका शोषण ना हो और इन्हें भी कमाई करने का बढ़िया मौका मिले।
माणिक सहगल के बारे में
माणिक सहगल ने टाइम्स स्कूल ऑफ मार्केटिंग से एमबीए पूरा किया है। उनका संबंध दिल्ली से है जहां उन्होंने 15 साल तक नौकरी की। स्ट्रीट वेंडर्स के हालात देखकर उन्हें रासा (Raasa) का आइडिया आया।