

भारत में आजकल ऑनलाइन पेमेंट का काफी चलन है। और ऑनलाइन पेमेंट एप पेटीएम (PayTm) का इस्तेमाल भी लगभग हर दूसरा व्यक्ति करता है। इस एप के जरिए दुनिया में कहीं भी पल भर में पेमेंट ट्रांसफर किया जाता है। आज पेटीएम (PayTm) भारत में बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। पर क्या आपको पता है कि इसकी शुरुआत कैसे हुई, इसके साथ ही इस बात पर यकीन करना भी मुश्किल होगा कि इस दिग्गज कंपनी को कड़ा करने वाला कोई बिजनेसमैन नहीं बल्कि एक साधारण परिवार का साधारण युवा है, जिसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है…
PayTm वाले विजय शेखर शर्मा
अक्सर सफल व्यक्तियों में एक बात आम होती है, कि वे परिस्थितियों के आगे झुकते नहीं है बल्कि मजबूती से उसका सामना करते हैं। हर परेशानी का हल खोजते हैं, और सफलता हासिल करने की जिद और जुनून को पूरा करते हैं। ऐसे ही शख्सियत हैं पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा। जो कभी ठीक से अंग्रेजी तक नहीं बोल पाते थे। यही वजह थी जिसकी वजह से कॉलेज में उनका मजाक तक बनाया जाता था। स्कूली दिनों में विजय शेखर शर्मा काफी प्रतिभावान थे, बावजूद इसके उन्हें कॉलेज में बैकबेंचर बनना पड़ा।
हिंदी मिडियम से हुई पढ़ाई
हिंदी भले ही हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, लेकिन अगर कोई हिंदी मीडियम से पढ़ा हुआ छात्र मिलता है तो उसे अपनी कमजोर अंग्रेजी के कारण कई बार मजाक बनना पड़ता है। या फिर वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वालों के सामने अपने आप को कम समझता है। विजय शेखर शर्मा के साथ यही परेशानी हुई। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ के एक सामान्य परिवार में हुई। जहाँ पिता शिक्षक और माता गृहणी थी। विजय शेखर शर्मा की स्कूली शिक्षा हिंदी मीडियम स्कूल से पूरी हुई।
हार नहीं मानी बल्कि अंग्रेजी पर बनाई पकड़
स्कूल के बाद विजय ने दिल्ली के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया। जहाँ एक बार प्रोफ़ेसर ने उनसे कोई सवाल पूछा जिसका वे उसका जवाब नहीं दे पाए। क्योंकि शर्मा से सवाल अंग्रेजी में पूछा गया था। वे कुछ समझे नहीं। स्कूल में हमेशा पहले नंबर पर रहे शेखर यहां पिछड़ गए। उनकी इस कमजोरी का कॉलेज के कई छात्र उनका मजाक उड़ाया करते थे। पर उन्हें कुछ ऐसे भी साथी मिले जिन्होंने अंग्रेजी सीखने में उनकी मदद की। उन्होंने ज्यादातर समय कक्षा की बजाय लाइब्रेरी में बिताया। उन्होंने अंग्रेजी पर अपनी पकड़ बनाई।
बिजनेस का आइडिया
कॉलेज के दिनों में विजय शेखऱ शर्मा ने यह नोटिस किया कि जब भी किसी तरह का कोई फॉर्म भरना होता था या रिजल्ट देखना होता तो छात्रों को घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता था। यहीं उन्हें आइडिया आया इसीलिए उन्होंने ऐसा कुछ शुरू करने का सोचा, जिससे इसका हल निकले। उन्होंने एक मैगजीन में मार्क एंड्रीसन का एक इंटरव्यू पढ़ा, जिससे उन्हें इंटरनेट के बारे में पता चला। जिसके बाद साल 1997 में उन्होंने Indiasite.net को शुरू किया। इस कंपनी ने काफी नाम और मुनाफा कमाया। बाद में शेखर ने एक मिलियन डॉलर में एक अमेरिकन कंपनी को इसे बेच दिया।
साल 2001 में उन्होंने वन97 कम्युनिकेशन नाम की एक कंपनी शुरू की, यह एक वेबसाईट थी, जो सामान्य जानकारियाँ देती थी। इसमें न्यूज, जोक्स, क्रिकेट स्कोर, परीक्षा परिणाम जैसी चीजे होती थी। यही कंपनी बाद में पेटीएम की पेरेंट कंपनी बनी।
पेटीएम की शुरुआत
विजय ने देखा कि छोटे से छोटे काम के लिए भी चिल्लर की जरूरत होती है। जैसे किराने वाले को, ऑटो वाले को पैसे देना है तो कैश। इसीलिए उन्होंने एक एप बनाने की सोची, जिससे कैश की समस्या लगभग ख़त्म हो। साल 2010 में उन्होंने पेटीएम की नींव रखी. जिसके माध्यम से पहले डीटीएच और पोस्टपेड रिचार्ज होते थे। धीरे-धीरे इसमें नई सुविधाएं जुड़ी। फिर कई प्रकार के बिलों का भुगतान भी होने लगा। आज पेटीएम किस मुकाम पर है हममे से सभी जानते हैं।
साधारण से परिवार में जन्मे, अंग्रेजी नहीं आती थी और बिजनेस करना बड़ी बात थी। लेकिन ये उनकी मेहनत, इच्छाशक्ति और हौसले थे जिसकी वजह से आज वे करोड़ों की कंपनी के मालिक हैं। आज विजय शेखर शर्मा करीब 100 करोड़ डॉलर के मालिक हैं।