Green FD: भविष्य की सुरक्षा के लिए अक्सर लोग कहीं न कहीं निवेश जरूर करते हैं। लॉग टर्म में निवेश करने वाले लोग अक्सर अपने पैसे फिक्स डिपॉजिट पर पैसा लगाते हैं। जिसका मतलब है बैंक में एकमुश्त पैसा जमा करके उस पर ब्याज हासिल करना। हालांकि इसका रिटर्न ज्यादा नहीं होता है लेकिन ये गारंटीड होती है। पिछले कुछ समय से लोग एक और फिक्स डिपॉजिट की बात करने लगे हैं। इसका नाम है ‘ग्रीन एफडी’ जानते हैं क्या है ये नया टर्म ग्रीन एफडी? ये सामान्य एफडी से कैसे अलग है और क्या इसमें किया गया निवेश सुरक्षित होता है?
ग्रीन एफडी के बारे में
दुनिया में जैसे-जैसे पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ी है लोग इस तरफ आकर्षित हो रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण की सोच से ही आया है ग्रीन एफडी का कॉन्सेप्ट। ग्रीन एफडी में लगाया जाने वाला पैसा पर्यावरण को बचाने के काम में लगाया जाता है। इसमें जमा होने वाली रकम सिर्फ उन प्रोजेक्ट्स में इंवेस्ट की जाती है जो पर्यवरण की रक्षा के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसे आप ‘इंवेस्टमेंट विथ ए पर्पज’ कह सकते हैं।
आम एफडी से अलग
Green FD भी सामान्य एफडी की तरह ही होती है। इसके नियम भी आपके नार्मल एफडी जैसे ही होते हैं। सामान्य एफडी से ये थोड़ा अलग होता है। इसमें आपको ये कमिटमेंट करना होता है कि आपका पैसा पर्यावरण से जुड़े कामों में ही इस्तेमाल हो। जैसे कि सोलर पावर प्लांट, प्रदूषण रिडक्शन या सस्टेनबल फार्मिंग प्रैक्टिस।
निवेश कौन कर सकता है?
ग्रीन एफडी में निवेश की कोई पात्रता नहीं है। इसमें सामान्य नागरिकों की तरह कोई भी निवेश कर सकता है। इंडिविजुअल से लेकर एचयूएफ, प्रोपाइटरशिप, यहां तक की आरडब्ल्यूए, क्लब और एनजीओ भी इसमें निवेश के पात्र होते हैं।
ग्रीन एफडी का फायदा
Green FD निवेश का सबसे बड़ा फायदा ही यही है कि ये पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लगाया जाता है। इसमें पर्यावरण की जरूरत वाले प्रोजेक्ट्स के लिए पैसा उपलब्ध होता है। एक इंवेस्टर के तौर पर आपके पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने में भी ये मदद करता है। वहीं आपको ये सैटिस्फैक्शन भी देता है कि आप पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। इसका रिटर्न सामान्य एफडी की तरह ही मिलता है।