प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी यह आयोजन बहुत बड़ा है। महाकुंभ देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर बनकर उभर रहा है। महाकुंभ से जीडीपी के आंकड़ों में 1% से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है.
45 दिनों तक चलने वाले इस समागम से उत्तर प्रदेश सरकार को 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है, और वित्तीय लेन-देन 2.5 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकता है। अभी तक आई भीड़ को देख कर बताया जा रहा है कि 40 करोड़ श्रद्दालुओं के आने की उम्मीद है. 2019 के अर्धकुंभ में जो 1.2 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय लेन-देन हुआ था, यह आंकड़ा इस बार काफी अधिक होने की संभावना है।
यह न केवल पर्यटन उद्योग, बल्कि स्थानीय व्यवसायों जैसे होटल, परिवहन सेवाएं, खानपान, हस्तशिल्प उद्योग, और अन्य संबंधित क्षेत्रों को भी लाभ पहुंचाएगा।
डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा
इस आयोजन की एक विशेषता डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना है। डिजिटल लेन-देन के जरिए गैर-संगठित क्षेत्र के लोगों की ऋण क्षमता बढ़ेगी, जिससे बैंकिंग क्षेत्र की व्यवस्था भी मजबूत होगी। इसके साथ ही, होटल, रेस्तरां, परिवहन सेवाओं, टूर एंड ट्रेवल्स, क्षेत्रीय हस्तशिल्प, कला और व्यंजनों के व्यवसाय से जुड़ी लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा, जो इस आयोजन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे।
छोटे-बड़े सभी दुकानकार लाभान्वित
इस आयोजन के दौरान स्ट्रीट वेंडर, शिल्पकार, और दुकानदार जैसे छोटे व्यवसायों के लिए यह 45 दिन का समय आठ महीने से अधिक की आय अर्जित करने का अवसर बनता है। सीआइआइ की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के कुंभ में छह लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला था, और इस बार यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के अनुसार, महाकुंभ की तैयारियों में लगभग 45,000 परिवारों को रोजगार मिल चुका है, जो इस आयोजन से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों का प्रमाण है।
कुंभ मेले का एक प्रमुख आकर्षण स्थानीय उत्पादों के स्टाल होते हैं, जो स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों के लिए अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रमोट करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करते हैं।
राज्य और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को लाभ
महाकुंभ में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन से राज्य और राष्ट्रीय दोनों ही अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा। टूर आपरेटरों द्वारा विभिन्न आकर्षक टूर पैकेज पेश किए जा रहे हैं, जिनमें पर्यटक महाकुंभ के साथ-साथ आसपास के धार्मिक स्थलों जैसे अयोध्या, वाराणसी, और मथुरा का भी भ्रमण करेंगे। इन स्थलों पर घरेलू और विदेशी मेहमानों के आगमन से सरकार को लगभग 200 करोड़ रुपये से अधिक की आय सृजित होने की संभावना है।
Positive सार
महाकुंभ न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है, बल्कि यह आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का भी एक बड़ा स्रोत बन रहा है। यह आयोजन आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक कदम है, क्योंकि स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन मिल रहा है। इस आयोजन के माध्यम से लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय उत्पाद अपने अद्वितीय गुणों के साथ बाजार में अपनी पहचान बना सकेंगे।