DANNEX: किसी भी प्रोडक्ट ब्रांड की जब बात आती है तो दिमाग में कई बड़े ब्रांड्स अपने आप आ जाते हैं। ये जितना क्लासी होता है उतना ही महंगा भी होता है। इसीलिए तो इन्हें ब्रांड कहते हैं। ऐसे ही एक खास ब्रांड की हम आज बात करेंगे जिसे बीहड़ आदिवासी महिलाएं बना रही हैं। इसका नाम है Dannex. दंतेवाड़ा नेक्स्ट यानी ‘डेनेक्स’ छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित है बस्तर, जो कभी नक्सलियों के हिंसा का शिकार था आज यहां की महिलाएं अपने ब्रांड के कपड़े बना रही हैं। जानते हैं क्या है इनकी कहानी…
महिलाओं के हाथ में डेनेक्स की बागडोर
साल 2021 में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से डेनेक्स (Dannex) की शुरूआत की गई थी। इसकी पहली यूनिट की शुरुआत गीदम विकासखंड अंतर्गत ग्राम हारम में हुई थी। हारम के बाद अब कटेकल्याण, छिंदनार, बारसूर, कारली में डेनेक्स की कई यूनिट स्थापित हो चुकी है। खास बात ये है कि इसकी पूरी जिम्मेदारी आदिवासी महिलाओं के हाथ में है जिसे वे बखूबी निभा रही हैं। डेनेक्स से जुड़ी हर एक महिला अपने आप में एक सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बना रही है।
मल्टीनेशनल स्टोर डेनेक्स की डिमांड
डेनेक्स (Dannex) फैक्ट्री से अब तक लाखों गारमेंट प्रोडक्ट बनाकर बेचा जा चुका है। यहां बनाए गए रेडीमेड कपड़ों की गुणवत्ता और उनकी डिजाइन भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों को काफी पसंद आ रही है। यही वजह है कि कई बड़े मल्टीनेशनल स्टोर्स और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर भी इन कपड़ों की बड़ी डिमांड हो रही है।
सशक्तिकरण की ओर आदिवासी महिलाएं
देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ कई अन्य देशों को भी यहां तैयार किए गए रेडीमेड गारमेंट एक्सपोर्ट किए गए हैं। दंतेवाड़ा की इन आदिवासी महिलाओं के द्वारा तैयार किए गए कपड़ो से अब तक लगभग 72 करोड़ से ज्यादा की आमदनी हो चुकी है वहीं 1000 महिलाओं को इससे रोजगार मिला है। जिससे आदिवासी महिलाएं आर्थिक सशक्तिकरण की तरफ बढ़ रही हैं।
इंडस्ट्रियल चेन बनाने की दिशा में काम
जिला प्रशासन के संरक्षण से सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को इस उद्यम से जोड़ा गया है। इस रेडीमेड गारमेंट उद्योग को इंडस्ट्रियल चेन के रूप में विस्तारित करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। डेनेक्स (Dannex) गारमेंट फैक्ट्री ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए एक नई दिशा साबित हुई है। जहां एक तरफ इनके उद्यमिता कौशल को बढ़ावा मिली तो वहीं दूसरी तरफ आजीविका के साधन मिलने से बस्तर के ग्रामीण क्षेत्र में जीवन स्तर में तेजी के साथ सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिले हैं।
खत्म हो रही रूढ़िवादी सोच
अक्सर ये देखने को मिलता है कि समाज के रूढ़िवादी और पितृसत्तात्मक नजरिए की वजह से महिलाओं के लिए बदलाव थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन डेनेक्स ने इस विचारधारा को बदला है। एक समय था जब बस्तर क्षेत्र में औरतें घर की चाहरदीवारी तक या फिर मजदूरी तक ही सीमित थीं। डेनेक्स (Dannex) के जरिए महिलाएं इन बंदिशों को तोड़कर तरक्की के आसमान छू रही हैं और आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल बन रही हैं।