Coalition government: गठबंधन सरकार से शेयर मार्केट पर होगा असर?

Coalition governments: भारत में 18वें लोकसभा चुनाव के नतीजों ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया है। हर किसी के लिए ये चौकाने वाले नतीजे हैं। ऐसे में शेयर बाजार और चुनाव के नतीजों को भी जोड़कर देखा जा रहा है। किसी का कहना है कि मौजूदा सरकार के गठबंधन सरकार बनाने की वजह से शेयर मार्केट पर नकारात्मक असर होगा तो वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का ये मानना है कि ये ज्यादा प्रभावित नहीं होगा।

क्या है एक्सपर्ट्स की राय?

गठबंधन सरकार (Coalition governments) बनने पर शेयर मार्केट में होने वाले बदलाव पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये जरूरी नहीं है कि गठबंधन सरकार बनने से शेयर बाजार के लिए खराब बात हो। लेकिन सरकार को अपने कार्यकाल के लिए एक स्पष्ट कार्ययोजना बनाने की जरूरत होगी। विश्लेषक ये भी कहते हैं कि भले ही सरकार बदलने या कमजोर गठबंधन बनने से बाजार की धारणा पर तेजी से असर होगा। लेकिन फिलहाल भारत की इकोनॉमी सही दिशा में है जिसका राजनीति से इतना प्रभावित होना संबंधित नहीं है।

चुनाव के परिणाम के अलावा कई अच्छी चीजें

विश्लेषक कहते हैं कि गठबंधन की सरकार (Coalition governments) शेयर बाजार को इतना प्रभावित नहीं करेगा। क्योंकि भारत में अच्छी संख्या (demographics), शिक्षित लोगों का बड़ा वर्ग, भारत का बड़ा घरेलू बाजार, पिछले सुधारों के असर, के साथ ही वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलाव मायने रखते हैं। जैसे कि सप्लाई चेन में बदलाव और डिजिटलीकरण का तेजी से बढ़ना एक पॉजिटिव आस्पेक्ट है।

सरकार की नीतियों का असर

सरकार की नीतियों के बदलाव का असर शेयर बाजार पर नहीं होगा ऐसा कहना अलग होगा। हां ये बात जरूर है कि लंबे समय के आकलन में बहुत ज्यादा निराश या उत्साहित नहीं होने से बचना होगा। इसी बात को अगर राजनीतिक तरीके से जोड़कर देखा जाए तो नेतृत्व वाले कमजोर गठबंधन में भी सुधारों की रफ्तार लगभग समान रह सकती है। लेकिन कुछ कड़े फैसले जैसे विनिवेश (सरकारी संपत्ति बेचना), जमीन अधिग्रहण कानून और समान नागरिक संहिता को आगे बढ़ाने में देरी दिखाई दे सकती है। सा भी हो सकता है कि इन्हें टाला जाए।

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Positive सार

निवेशकों को सरकारी खर्च (fiscal discipline) को लेकर थोड़ी राहत दिखाई देगी। विश्लेषक ये भी कह रहे हैं कि “आश्चर्यजनक राजनीतिक परिणाम की वजह से कमजोर कारोबारी माहौल बन सकती है। इससे निजी कंपनियों के पूंजीगत व्यय (capex) रिकवरी में भी देरी हो सकती है।”

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Rishita Diwan

Content Writer

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